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शनिवार, 26 नवंबर 2011

ख़ुदगरज लीडर । (व्यंग गीत ।)







ख़ुदगरज  लीडर । (व्यंग गीत ।)


ख़ुद    से   भी  ख़ुदगरज  होते  हैं  लीडर ।

ख़ुद   को   ही  ख़ुदा  समझते   हैं   चीटर ।


अंतरा-१.


धन - दौलत  के  चंद  टूकड़ों   की  ख़ातिर,

हर   पल  ज़मीर   से   झगड़ते   हैं   लीडर ।

ख़ुद   को   ही  ख़ुदा  समझते   हैं   चीटर ।


अंतरा-२.


जन्नत  हथिया  कर, ईमान  दफ़ना  कर, 

जन्नत को जहन्नुम,  बदलते   हैं  लीडर ।

ख़ुद   को   ही  ख़ुदा  समझते   हैं   चीटर ।


अंतरा-३.


मर कर  जी  रहे  हम, जी लिया अब जी भर,

लहू     लोगों    का    खूब   पीते   हैं  लीडर ।

ख़ुद   को   ही   ख़ुदा   समझते   हैं   चीटर ।



अंतरा-४.



रूहें   दबा   कर,  जिस्मों   को  कूचल  कर,

तिजारत,   लाशों    की    करते   हैं   लीडर ।

ख़ुद   को   ही   ख़ुदा   समझते   हैं   चीटर ।

(तिजारत=व्यापार)


अंतरा-५.


ख़ुदा   को    ख़तावार, खुलेआम  कह  कर, 

ख़ुदा    से    भी   बदला   लेते   हैं   लीडर ।

ख़ुद   को   ही  ख़ुदा  समझते   हैं   चीटर ।


ख़ुद    से   भी   ख़ुदगरज  होते  हैं  लीडर ।

ख़ुद   को   ही   ख़ुदा  समझते   हैं   चीटर ।


मार्कण्ड दवे । दिनांक-२६-११-२०११.

3 टिप्पणियाँ:

सीधे-सीधे लीडर को गरिया दिये..! कुछ लपेट कर कहते तब न मजा आता।

थप्पड़ की प्रशंसा निंदनीय है
जो लोग आज शरद पवार के थप्पड़ मारने और उन्हें कृपाण दिखाने वाले सरदार हरविंदर सिंह की प्रशंसा कर रहे हैं,
क्या वे लोग तब भी ऐसी ही प्रशंसा करेंगे जबकि उनकी पार्टी के लीडर के थप्पड़ मारा जाएगा ?
हम शरद पवार को कभी पसंद नहीं करते लेकिन नेताओं के साथ पब्लिक मारपीट करे, इसकी तारीफ़ हम कभी भी नहीं कर सकते। इस तरह कोई सुधार नहीं होता बल्कि केवल अराजकता ही फैलती है। अराजक तत्वों की तारीफ़ करना भी अराजकता को फैलने में मदद करना ही है, जो कि सरासर ग़लत है।
सज़ा देने का अधिकार कोर्ट को है।
कोर्ट का अधिकार लोग अपने हाथ में ले लेंगे तो फिर अराजकता फैलेगी ही और हुआ भी यही शरद पवार के प्रशंसक ने शुक्रवार को हरविंदर सिंह को थप्पड़ मार दिया है।

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