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हास्य जीवन का अनमोल तोहफा    ====> हास्य जीवन का प्रभात है, शीतकाल की मधुर धूप है तो ग्रीष्म की तपती दुपहरी में सघन छाया। इससे आप तो आनंद पाते ही हैं दूसरों को भी आनंदित करते हैं।

हँसे और बीमारी दूर भगाये====>आज के इस तनावपूर्ण वातावरण में व्यक्ति अपनी मुस्कुराहट को भूलता जा रहा है और उच्च रक्तचाप, शुगर, माइग्रेन, हिस्टीरिया, पागलपन, डिप्रेशन आदि बहुत सी बीमारियों को निमंत्रण दे रहा है।

बुधवार, 15 फ़रवरी 2012

बिछना - भबिछाना



बिछना - बिछाना

जमाना बदल रहा है.
काफी बदल गया है.
लेकिन बिछने की आदत अभी कायम है.
पहले आँखें बिछाते थे,
फिर कालीने बिछने लगीं ,
अब लोग खुद बिछ जाते हैं.

लोगों को फख्र महसूस होता है,
लोगों को हर्ष महसूस होता है,
कि अब हम न ही बिस्तर बिछाते हैं,
न ही हम कालीनें बिछाते हैं,
न ही नजरे इनायत बिछाई जाती है,
हम बिछाने में विश्वास नहीं करते ....

हम तो खुद ही बिछ जाते हैं.


एम.आर.अयंगर.
09425279174.

मंगलवार, 7 फ़रवरी 2012

कुछ तो लोग कहेंगे ...............अरशद अली




पुरानी धुन सुना तो ऐसा लगा की मेरे मन की छुपी बात को हीं गायक ने दुहराया है
कुछ तो लोग कहेंगे
लोगों का काम है कहना...............
आज पड़ोस के अंकल ने मुझसे कई साल बाद पूछ हीं लिया की मुझे अंकल क्यों कहते हो भैया कहा करो.
मेरा मन खुश था की मुझे अपने आस पास के लोग नोटिस तो करने लगे नहीं तो पहले कभी ऐसा कहाँ हुआ था की बचपन से जिन्हें देख कर बड़ा हुआ वो मुझसे रिक्वेस्ट कर के बात करे. आज मै अंकल को अंकल नहीं भैया कह कर अंपने बड़े होने पर गर्ब कर ही रहा था की आंटी पर नज़र पड़ गयी.आखे गोल कर अभी सोंच हीं रहा था की अंकल तो अभी अभी भैया बन गए अब आंटी को भाभी कह देने पर कोई सामाजिक परेशानी तो नहीं हो जाएगी...
कई बिचारों से गुजरते हूए इसी नतीजे पर पहुँचा की आंटी से हीं पूछ लेना बेहतर होगा,आंटी को थोड़ी देर पहले की बात बताने पर आंटी को गंभीर होते देख यही महसूस हुआ की आज मेरी, नहीं तो अंकल की सामत आई है.
अभी अभी माफ़ी मांगने वाला था की आंटी ने इतना कहा की मुझे मोहल्ले के लडको से भाभी सुनना बिलकुल पसंद नहीं,ऐसा करो तुम मुझे दीदी कह लिया करना.मै मन हीं मन सोंच रहा था की अजब उलझन है अंकल भैया हूए तो हूए आंटी दीदी बन कर रिश्तों के समीकरण में भूचाल लाने पर क्यों तुली हें.चलिए दुनिया तो हर हाल में मुझे अनाप सनाप कहेगी हीं .भले हीं रिश्तों में कोई तालमेल नहीं पर अंकल भैया आंटी दीदी के बीच में सोनू मोनू जो कल तक मुझे भैया कहते थे अब मुझे क्या कहेंगे????
अंकल के भैया सुनने की लालसा ने मुझे सोनू मोनू के भैया से अंकल बना डाला...

मै अपने को इस बात से मनाता रहा की

कुछ तो लोग कहेंगे .................................