एक गधा दूसरे गधे से मिला
तो बोला-
"कहो यार कैसे हो?" दूसरा बोला- "तुम वाकई गधे हो
एक साल होने को आया एक ही जगह बंधे हो
डाक्टरों ने दल बदले मगर तुमने
खूंटा तक नहीं बदला।" तभी बोल उठा पहला-
"सामने वाले बंगले में दो नेता रहते हैं
रोज़ आपस में लड़ते हैं एक कहता है
तुमसे गधा अच्छा
दूसरा कहता है
गधे का बच्चा
और मैं यह जानना चाहता हूँ
कि वो कौन-सा नेता नेता है जो मेरा बेटा है।
साभार : कविता कोष, लेखक : श्री शैल चतुर्वेदी
तो बोला-
"कहो यार कैसे हो?" दूसरा बोला- "तुम वाकई गधे हो
एक साल होने को आया एक ही जगह बंधे हो
डाक्टरों ने दल बदले मगर तुमने
खूंटा तक नहीं बदला।" तभी बोल उठा पहला-
"सामने वाले बंगले में दो नेता रहते हैं
रोज़ आपस में लड़ते हैं एक कहता है
तुमसे गधा अच्छा
दूसरा कहता है
गधे का बच्चा
और मैं यह जानना चाहता हूँ
कि वो कौन-सा नेता नेता है जो मेरा बेटा है।
साभार : कविता कोष, लेखक : श्री शैल चतुर्वेदी
9 टिप्पणियाँ:
बहुत बढ़िया , रामलाल जी आपने भी अपनी ही तस्वीर लगा ली ,,,,
इसमे कौन सी बड़ी बात है , दोनों ही आप के बेटे है
आजकल सारे गधे बहुत शर्मा रहे हैं..!!
क्यों?
क्योंकि, सारे गधों को, बहुत बरसों बाद पर्फार्म करने के लिए,
इतना बड़ा मंच मिला है।
और गधों के मालिक दुविधा में हैं, इतने सारे गधे एक साथ कहाँ पलायन कर गए?
हा..हा..हा..हा..!!
हा हा
मजेदार कविता खोज कर लाते है आप !
हा..हा..हा..हा.
सब नेता आप ही के तो वनसाज है
वनसाज = वंसज
हा हा हा हा हा
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