मंच पर सक्रिय योगदान न करने वाले सदस्यो की सदस्यता समाप्त कर दी गयी है, यदि कोई मंच पर सदस्यता के लिए दोबारा आवेदन करता है तो उनकी सदस्यता पर तभी विचार किया जाएगा जब वे मंच पर सक्रियता बनाए रखेंगे ...... धन्यवाद   -  रामलाल ब्लॉग व्यस्थापक

शुक्रवार, 6 मई 2011

Old ,नशा-Gold,प्रेम पत्र । PART-1

Old ,नशा-Gold,प्रेम पत्र ।
(सौजन्य-गूगल)


परत जम गई है *अलगरजी की, दिल की सतह पर ,
देख   पाओगे   क्या  तुम,  दिल  के  तलवे  का  दर्द?


*अलगरजी = बेपरवाही

=======

प्रिय दोस्तों,
 
सन-१९८० में एक दिन, सरल स्वभाव का,भोलाभाला एक दोस्त, मुझे मिलने के लिए आया । आते ही उसने, मुझे खुश ख़बर दी  कि, उसकी शादी तय हुई  है । मैने उसे बधाई दी और आनंद व्यक्त किया ।
 
थोड़ी देर बाद, मित्र ने एक गुज़ारिश की,"मुझे पता है,कॉलेज में कई दोस्तों को प्रेम पत्र लिखने में तुमने मदद की थी । मेरा भी `हाफ मेरेज` (एन्गेजमेंन्ट) अभी-अभी  हुआ है और मेरे लिए भी तीन-चार प्रेम पत्र लिख दे ना या..र, यु नॉ, तेरी भाभी को मैं इंम्प्रेस करना चाहता हूँ..!!"
 
मैंने उसे अच्छे शब्दों में समझाया,"रहने दे या..र, प्रेम पत्र लिखने में अगर कोई ग़लती हो जाएगी तो, तेरी शादी का सपना टूट जाएगा..!!
 
मेरा मित्र मायूस होकर चला गया । मुझे बहुत दुःख हुआ, पर मैं अपने सिद्धांत के आगे मजबूर था ।
 
एक सप्ताह बाद, वही मित्र उसकी भावी पत्नी के साथ, मुझे मार्केट में मिल गया । पहली बार मिलने पर, मित्र और उसकी होनेवाली पत्नी को पास के रॅस्टोरन्ट में, मैंने  चाय-नाश्ता करवाया तब बातों-बातों में, मुझे जो पता चला वह सुनकर मैं हँसते हुए लोटपोट हो गया ।
 
भाभीजीने मित्र का भांडा फोड़ दिया..!! प्रेम पत्र लिखने से, मेरे मना करने पर, मित्र ने  अपनी मनमर्ज़ी मुताबिक प्रेम पत्र लिखा, जिसमें अंटसंट शेरोशायरी तो थीं ही, पर `हाफ मेरेज` शब्द से प्रेरित होकर,ग़लतफहमी के कारण उसने, भावी पत्नी के साथ, ऑफिसियल शादी करने से पहले ही, `अखंड सौभाग्यवती` का संबोधन करना शुरू कर दिया और वो भी खुल्लमखुल्ला पोस्टकार्ड भेजकर..!!
 
 हालाँकि, कन्या के माता-पिता ने, इस बात को मज़ाक में ले कर, बहुत हल्के से लिया और सारा मामला सँभाल लिया..!!
 
आप कल्पना कर सकते हैं? बीते दशक और उससे पहले युग में प्रेम पत्र की अदा-छटा-भाषा कैसी होती थी?
 
प्रेम पत्र अर्थात क्या?
 
सिर्फ एक कागज़ के टुकड़े पर लिखे,कुछ शब्द का नाम प्रेम पत्र है? (नहीं..नहीं..नहीं..बिलकुल नहीं..!!)
 
तो फिर, प्रेम पत्र का अर्थ क्या है?
 
" हमारे हृदय में जाग्रत हुई, प्रेम की संवेदनाओं को,शब्द,संकेत या अन्य किसी भी माध्यम के द्वारा किसी अन्य व्यक्ति को संदेश के रूप में भेजा जाए, उसे प्रेम पत्र कहते हैं ।"
 
अगर प्रेम पत्र की परिभाषा यही है तो, हम कह सकते हैं कि, प्रेम पत्र भेजने के अलग-अलग माध्यम ही, प्रेम पत्र के अलग-अलग प्रकार हुए..!!
 
प्रेम पत्र लिखना यह भी एक कला है । ये सब के बस की बात नहीं है, जिनको अपने दिल की संवेदना ठीक से बयान करना न आता हो, उसका प्यार कई बार परवान चढ़ने से पहले ही दफ़न हो जाता है..!!
 
प्रेम पत्र के प्रकार ।
 
प्रेम पत्र के प्रकार अनगिनत है,जैसे कि, कागज़-पत्र,इशारा, संदेशवाहक,कबूतर,रूबरू और अब सेटेलाईट के युग में, MMS, SMS, E-MAILS वगैरह प्रकार-स्वरूप..!!
 
कवि कालिदास के `शाकुंतल` संस्कृत नाट्य साहित्य पर आधारित, सन-१९६१ में राज कमल स्टूडियो द्वारा निर्मित,निर्देशक श्रीव्ही.शांतारामजी की, सुंदर कलात्मक हिन्दी फिल्म-`स्त्री` में राजा दुष्यंत को, भोजपत्र पर शकुंतला ने प्रेम पत्र लिखा, उसका बहुत सुंदर दृश्य फिल्माया गया था ।
 
सन-१९७० से पहले, प्रेम पत्र भेजने के लिए कई बार सात-आठ साल के छोटे बच्चों को, सब से सलामत दूत माना जाता था । हालाँकि, इसमें कई जोखिम होते थे..!!
 
सन-१९६२-६३ में, मेरे जन्म स्थल-दर्भावती (डभोई) में हमारी गली में रहनेवाले एक युवक ने, मुझे छोटा बच्चा मान कर, हमारे पड़ोस में रहने वाली एक लड़की को देने के लिए, मुझे एक प्रेम पत्र थमा दिया ।
 
इस लड़के से मैं बहुत डरता था, इसलिए मैं उसे मना कर न सका, अतः उसका दिया हुआ प्रेम पत्र, लुकाते छुपाते उस लड़की तक पहुंचा आया । परंतु, मैंने उस लड़के को,उस दिन पहली बार, बिना डरे कह दिया कि," आज के बाद मैं ऐसा कोई काम नहीं करुंगा ।" हालांकि, उसकी ज़रूरत भी न पड़ी..!! पता नहीं, उस लड़के ने, प्रेम पत्र में न जाने क्या लिखा था कि, उसकी प्रेमिका उससे ऐसी रूठ गई कि, उसको चारा डालना ही बंध कर दिया..!!
 
थोड़े ही दिनों में, प्रेमिका की उपेक्षा से, वह लड़का देवदास जैसा बर्ताव करने लगा । फिर से, एक दिन वह युवक मेरे पास आया और फिर से एक कागज़ मेरे सामने रख दिया । उसके पास कागज़ देखते ही, मैंने उसे बिना शर्म किए कह दिया," तेरा ऐसा कोई काम, मैं नहीं करुंगा..!!
 
यह सुनकर, उस `देवदास` युवक ने कहा,"मैं, ये कागज़ उस लड़की को पहुंचाने के लिए तुझे नहीं दे रहा हूँ, सिर्फ तु इसमें दस्तख़त कर दे, बस..!!"
 
मैनें एहतियात के तौर पर पूछा," क्या लिखा है इस में?"
 
गहरी सांस भर कर, वह लड़का बोला,"मेरी लवर के पिताजी के नाम, एक अर्जी लिखी है कि, उनकी बेटी को समझा के, उससे मेरा प्रेम विवाह तुरंत करा दे ।"
 
यह सुनकर तो मानो, मेरे मन में ख़तरे की घंटीयाँ बज ने लगी..!! मुझे पक्का लगा कि, उस देवदास के साथ-साथ, आज मेरी पिटाई भी तय है, अब क्या करूँ? ऐसी ही असमंजस की मनःस्थिति में, मारे डर के, मैंने अपने स्कूल का बस्ता दोनों हाथ से कस कर पकड़ा और पिछे मुड़ कर देखे बिना ही, वहाँ से ऐसा भागा मानो मेरे पिछे, कोई पागल कुत्ता पड़ा हो..!! भागता हुआ जब, मैं अपने घर पहुंचा, तब जा कर, मेरे दिल को ज़रा शांति मिली ।
 
प्यारे दोस्तों, इस के आगे क्या हुआ? क्या प्रेमिका के पिता ने, उस प्रेमी युवक की अर्जी मंज़ूर कर ली? ये सब पता करने के लिए आपको कल यहीं पर आने की जहमत उठानी पड़ेगी..!!

फिलहाल तो, आप मेरा लिखा,स्वरबद्ध किया,संगीतबद्ध किया और स्वरायोजन श्रीपसून चौधरी, प्रख्यात गायिका सुश्रीपारूलजी द्वाया गाया हुआ, ये गीत सुनिए और बताईएगा ज़रूर, गीत आपको कैसा लगा?
 
गीत के बोल हैं,"पुराने ख़तों की खुश्बू में यादें भरी हैं मेरी, आपको दिखा नहीं सकती शादी हो गई है मेरी ।"

DOWN LOAD LINK-

मेरा ब्लॉग-
http://mktvfilms.blogspot.com/2011/05/old-gold-part-1.html
मार्कण्ड दवे । दिनांक-०५-०५-२०११.

9 टिप्पणियाँ:

kajal ji
bahut hi badhiya prasang ,maja aa gaya aapki us waqt ki halat ko yaad karke .
agli kadi ka intajaar besabri se rhega ,aakhir aapne suspens jo bana kar rakha hai bina the end ke kaise baat jamegi
bahut hi badhiya
poonam

aaha! oaho...mujhe bhi intazar karna padega...behtareen lekhan

एक टिप्पणी भेजें

कृपया इन बातों का ध्यान रखें : -
***************************
***************************
1- लेख का शीर्ष अवश्य लिखें.
=====================================================
2- अपनी पोस्ट लिखते समय लेबल में अपना नाम अवश्य लिखें.
=====================================================
3- लेख की विधा जैसे व्यंग्य, हास्य कविता, जोक्स आदि लिखें.
=====================================================
4- तदुपरांत अपने पोस्ट/लेख के विषय का सन्दर्भ अपने-अनुसार लिखें.
=====================================================
*************************************************************
हास्य व्यंग ब्लॉगर्स असोसिएशन की सदस्यता लेने के लिए यहा क्लिक करे