एक व्यक्ति पशुओं के डॉक्टर के पास पहुंचा और कहा कि तबियत
ठीक नहीं लग रही है, दिखाना है।
डॉक्टर ने कहा कि कृपया मेरे
सामने वाले क्लीनिक में जाएं, मैं तो जानवरों का डॉक्टर हूं।
वहां देखिए, लिखा हुआ है।
रोगी– नहीं डॉक्टर साब मुझे आप ही को दिखाना है।
डॉक्टर– अरे यार, मैं पशुओं का डॉक्टर हूं। मनुष्यों का इलाज
नहीं करता।
रोगी– डॉक्टर साब मैं जानता हूं और इसीलिए आपके पास आया हूं।
इस पर डॉक्टर साब चौंक गए। जानते हो? फिर
मेरे पास क्यों आए।
रोगी- मेरी तकलीफ सुनेंगे तो जान जाएंगे।
डॉक्टर- अच्छा बताओ।
रोगी– सारी रात काम के बोझ से दबा रहता हूं।
सोता हूं तो कुत्ते की तरह सोता हूं।
चौबीसों घंटे चौकस रहता हूं।
सुबह उठकर घोड़े की तरह भागता हूं।
रफ्तार मेरी हिरण जैसी होती है।
गधे की तरह सारे दिन काम करता हूं।
मैं बिना छुट्टी की परवाह किए पूरे साल बैल की तरह लगा रहता हूं।
फिर भी बॉस को देखकर कुत्ते की तरह दुम हिलाने लगता हूं।
अगर कभी, समय मिला तो अपने बच्चों के साथ
बंदर की तरह खेलता हूं।
बीवी के सामने खरगोश की तरह डरपोक रहता हूं।
5 टिप्पणियाँ:
लोमड़ी जैसी बीवी के सामने खरगोश अजिसे पति..!!
हा..हा..हा..हा..!!
Bahut sundar.
............
खुशहाली का विज्ञान!
ये है ब्लॉग का मनी सूत्र!
accha blog hai !
बहुत मजेदार
बढ़िया लगा
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