मंच पर सक्रिय योगदान न करने वाले सदस्यो की सदस्यता समाप्त कर दी गयी है, यदि कोई मंच पर सदस्यता के लिए दोबारा आवेदन करता है तो उनकी सदस्यता पर तभी विचार किया जाएगा जब वे मंच पर सक्रियता बनाए रखेंगे ...... धन्यवाद   -  रामलाल ब्लॉग व्यस्थापक

हास्य जीवन का अनमोल तोहफा    ====> हास्य जीवन का प्रभात है, शीतकाल की मधुर धूप है तो ग्रीष्म की तपती दुपहरी में सघन छाया। इससे आप तो आनंद पाते ही हैं दूसरों को भी आनंदित करते हैं।

हँसे और बीमारी दूर भगाये====>आज के इस तनावपूर्ण वातावरण में व्यक्ति अपनी मुस्कुराहट को भूलता जा रहा है और उच्च रक्तचाप, शुगर, माइग्रेन, हिस्टीरिया, पागलपन, डिप्रेशन आदि बहुत सी बीमारियों को निमंत्रण दे रहा है।

बुधवार, 23 फ़रवरी 2011

जुगलबन्दी एक झकझकी की.

स ब्लागवुड में नये-पुराने, छोटे-बडे, गद्य-पद्य सभी प्रकार के चिट्ठाकारों की एक चाह जो शिद्दत से उभरकर सामने आते दिखती है वो ये कि मेरे आलेख के नीचे चारों दिशाओं से टिप्पणियों की भरपूर फसल लहलहाते दिखे । चिट्ठाकार इसके लिये जहाँ खडा है वहीं पूरी जागरुकता से विषय तलाश रहा है ।

कुछ ज्यादा जागरुक लेखक तो जैसे जब भी अपने कम्प्यूटर से अलग हटते होंगे तो तत्काल केमरा भी उनके साथ चल रहे जरुरी सामान यथा पर्स, चाबी, चश्मा, रुमाल जैसी एक अनिवार्य आवश्यकता के रुप में साथ लग लेता होगा कि विषय के साथ ही चित्र भी तत्काल लपेटे में आ जावे तो सोने में सुहागा । क्या पता कब ऐसा चित्र ही मिल जावे कि बगैर किसी लेख की मेहनत के ही टिप्पणियों का जलजला हमारे लिये लेता आवे और माफी चाहते हुए निवेदन करना चाहूँगा कि मैं भी कोई इस चाहत से अलग नहीं हूँ ।

तो मेरी व ऐसे सभी चिट्ठाकारों के लिये मेरे मस्तिष्क में एक झकझकी कुलबुला रही है जिसे मैं यहाँ परोसना चाह रहा हूँ । सभी विद्वजनों से निवेदन है कि इसे कविता समझने की गल्ति ना करें क्योंकि मेरे परम आदरणीय स्व. पिताजी सहित मेरे काका, ताऊ और उनके सभी वंशज जहाँ तक मेरी नजरें जा सकती है जिसमें अपनी कल्पना भी जोड दूँ तो मेरी सात पुश्तों ने आज तक कभी कविता नहीं की, तो मेरा तो प्रश्न ही नहीं बचता ।

हाँ इस चिट्ठा-जगत की सोहबत में कभी मैं तुकबन्दी भिडाना चालू करदूँ और मुझसे बाद की पीढियों के लिये ये मार्ग प्रशस्त हो जावे तो जुदा बात है । फिलहाल तो आप मेरी इस झकझकी से ही काम चलालें-

एक बात और साहित्य में प्रेरणा कहीं से भी ली जा सकती है फिर भी इस झकझकी को शुरु करने के पहले मैं इस ब्लागवुड के परम आदरणीय भीष्म-पितामह को विशेष रुप से नमन करते हुए उनसे क्षमा या आशीष अवश्य चाहूँगा । निवेदन है -

चिट्ठे जो सब पसन्द कर सकें
ऐसा ज्ञान कहाँ से लाऊँ,

टिप्पणी से समृद्ध जो करदे,
वो आलेख कहाँ से लाऊँ.

छपते ही वाहवाही करलें
वो पाठक मैं कहाँ से लाऊँ.

टिप्पी जो लेखक को पसन्द हो
वो अल्फाज कहाँ से लाऊँ.


शेअर से पैसा जो जुटाए
ऐसी टिप्स कहाँ से लाऊँ


बैठे-बैठे खर्च चल सके,
ऐसा काम कहाँ से लाऊँ


घर में सबको सदा सुहाए
वो व्यवहार कहाँ से लाऊँ,


खेमेबाजी में भी घुस सकूँ
वो चमचाई कहाँ से लाऊँ


टिप्पणी से समृद्ध जो करदे,
वो आलेख कहाँ से लाऊँ.


चिट्ठे जो सब पसन्द कर सकें
ऐसा ज्ञान कहाँ से लाऊँ.

रविवार, 13 फ़रवरी 2011

वेलेंटाइन-व्यंग्य............

एक अच्छी लड़की की कहानी 
गिरीश पंकज  

एक कॉलेज का दृश्य। कुछ लड़कियाँ, एक लड़की को घेरकर खड़ी हैं और उसे कोस रही थीं-
एक बोली- ''तेरा जीवन बेकार हो गया रे मुन्नी। एक वो मुन्नी है जो अपने डार्लिंग के लिये बदनाम हुई मगर उसका कितना नाम हो गया और एक तू है, जिसके पास एक भी डार्लिंग नहीं है.''
दूसरी चढ़ बैठी - '' तुझे नरक में भी जगह नहीं मिलेगी।''
तीसरी ने ताना दिया - '' काहे तू इतना पढ़-लिख ली। गँवार ही रहना था तुझको। छि:।''
चौथी लपकी- '' देख हम लोगों को। खानदान कानाम रौशन कर रही हैं : हर एक के पास कितना स्टाक है. एक-एक के पास तीन-तीन, चार-चार ब्वाय फ्रेंड है, लवर हैं.और तू? तेरे पास एक भी नहीं। इसका पहरावा तो देखो। सलवार-कुरता, उस पर चुन्नी। छि:-छि:। चलो सहेलियो, इसके पास खड़े रहना भी पाप है, नहीं-नहीं  महापाप है।''
सारी लड़कियाँ उस लड़की को रुलाकर चली गईं। 'वेलेंटाइन डे' के दिन कई लड़की अपने ब्वाय-फ्रेंड उर्फ लवर के बिना रहें, उसे तो सचमुच ही 'धिक्कार' है।
लड़की संस्कारों वाली थी। और आज के ज़माने में जो संस्कार वाला है, वही तो बदनाम है। उसका नंगई के इस आँगन में आखिर इसका क्या काम है? संस्कार की मारी बेचारी लड़की को यही सिखाया गया था कि नैतिकता सबसे बड़ी चीज़ है। कॉलेज में पढ़ाई करो, अपना कैरियर बनाओ। जो लड़की वेलेंटाइन डे के पड़ी मतलब बर्बाद हो गई समझो। माता-पिता का कहना न मानकर बेचारी लड़की किसी भी किस्म के लफड़े में नहीं पड़ी । अब जींस-टॉप (उस पर भी सुपर टॉप) धारिणी लड़कियाँ उसे मार रही थीं।
लड़की को लगा, सचमुच वह गँवार है... पिछड़ी हुई है। उसे तो मर ही जाना चाहिए। उसका एक 'लवर' तक नहीं, एक 'ब्वॉय फ्रेंड' भी नहीं? हाय-हाय ये भी क्या जीवन है..''. लड़कियों के ताने उसके दिमाग़ में गूँज रहे थे - ''तेरा जीवन बेकार है। तुझे नरक में भी जगह नहीं मिलेगी। गँवार कहीं की। बैकवर्ड...बैकवर्ड....बैकवर्ड..। छि: छि:!!''
लड़की ने सोचा, अब इस जीवन को जीने का कोई अर्थ नही, सचमुच उसे मर जाना चाहिए।
और वह मरने के लिए निकल पड़ी। वह तेजी के साथ चली जा रही थी कि तभी आकाशवाणी हुई-
''कहाँ जा रही है बालिका?''
लड़की घबराई। ये आवाज कहाँ से आई ?
 ''आप कौन ? '' उसने पूछा
मैं नैतिकता हूँ।'' आकाशवाणी
 ''ये सब तुम्हारे कारण हो रहा है। तुम दिमाग में सवार हो इसलिए मैं गलत राह पर नहीं चल सकती।''  लड़की चीखी -''मैं चरित्र को सबसे ज्यादा महत्व देती हूँ, इसलिए मैंने लड़कियों को अपने जाल में उकसाने वाले लड़कों से ख़ुद को दूर रखा। अब चालू टाइप की लड़कियाँ मेरा मज़ाक उड़ा रही हैं। मैं मरने जा रही हूँ।''
आकाशवाणी - '' इससे क्या होना-जाना है। उल्टे समाज का ही नुकसान होगा। एक इक्का-दुक्का लोग ही तो इस तरह के बचे हैं, जिनसे अच्छे चाल-चलन की उम्मीद की जा सकती है। अब तुम्हारे जैसी लड़कियों का अकाल पड़ गया है। इसलिए तुम तानों से विचलित मत हो और शान से जियो। चरित्र ही सबसे बड़ी पूँजी है तुम्हारी। आजकल बहुत-सी लड़कियों में यह प्रतिस्पर्धा होने लगी है कि उसके पास कितने ब्वाय फ्रेंड हैं। उधर लड़कों की तो पुरानी स्पर्धा चल रही है कि उसके पास कितने आइटम हंै। पहले दिल में एक से ज्यादा किसी के सामने कोई गुंजाइश नहीं रहती थी। अब तो दिल एकदम बेदाम होता जा रहा है। न जाने कितने ही समा जाते हैं।''
लड़की ने अपने दिमाग को ठंडा-ठंडा कूल-कूल किया। उसे लगा कि नैतिकता की देवी ठीक कह रही हैं। उसने मरने का इरादा बदल दिया और बोली ''देवी, तुम्हारी बातों से मेरी आँखें खुल गईं। मुझे जीना चाहिए और ऐसी लड़कियों के खिलाफ़ खड़ा होना चाहिए जो सीधी-सादी लड़कियों को गुमराह करने की कोशिश करती हैं। सचमुच, मैं क्यों मरूँ? मेरे वे जो समाज को मारने पर तुले हैं। जो लड़कियाँ अपने माता -पिता की इज्जत नीलाम करने पर लगी हुई हैं, वे मरें। समाज का बोझ कम होगा।''
लड़की वापस लौट गई इस ''पागल किस्म के संकल्प'' के साथ. कि वह 'वेलेंटाइन डे' जैसे रिवाजों का विरोध करेगी। भले ही उनकी सहेलियाँ उसका मजाक उड़ाएँ।

सोमवार, 7 फ़रवरी 2011

हास्य व्यंग ब्लॉगर्स असोसिएशन - सूचना

ब्लॉगर्स बन्धुओ !

आप सभी को हर्ष और बधाई के साथ यह सूचना देना चाहता हूँ कि पाठको को

हास्य और व्यंग लेख एक ही जगह पर उपलब्ध करवाने के लिए एक शक्तिशाली

और नए मंच का गठन किया जा रहा है जिसका नाम है

'हास्य व्यंग ब्लॉगर्स असोसिएशन'

! इस मंच का हिस्सा सभी भारतीय बन सकते है, फ़िर चाहे वे दुनिया के

किसी
भी कोने में रह रहें हों !!


सभी हास्य व्यंग लिखने वाले ब्लॉगर्स से निवेदन है कि वे इस मंच के सदस्य बनकर

पाठको को उच्च कोटी का हास्य उपलब्ध कराये

इच्छुक हास्य व्यंग लिखने वाले ब्लॉगर्स

टिपण्णी में अपना ईमेल एड्रेस दर्ज करा कर

सदस्य बन सकते हैं.
शीघ्र ही इसकी देखरेख के लिए आवश्यक पदों की निर्माण-प्रक्रिया पूर्ण की जायेगी.

निवेदक
श्री रामलाल