मंच पर सक्रिय योगदान न करने वाले सदस्यो की सदस्यता समाप्त कर दी गयी है, यदि कोई मंच पर सदस्यता के लिए दोबारा आवेदन करता है तो उनकी सदस्यता पर तभी विचार किया जाएगा जब वे मंच पर सक्रियता बनाए रखेंगे ...... धन्यवाद   -  रामलाल ब्लॉग व्यस्थापक

हास्य जीवन का अनमोल तोहफा    ====> हास्य जीवन का प्रभात है, शीतकाल की मधुर धूप है तो ग्रीष्म की तपती दुपहरी में सघन छाया। इससे आप तो आनंद पाते ही हैं दूसरों को भी आनंदित करते हैं।

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बुधवार, 15 फ़रवरी 2012

बिछना - भबिछाना

बिछना - बिछाना जमाना बदल रहा है.काफी बदल गया है.लेकिन बिछने की आदत अभी कायम है.पहले आँखें बिछाते थे,फिर कालीने बिछने लगीं ,अब लोग खुद बिछ जाते हैं. लोगों को फख्र महसूस होता है,लोगों को हर्ष महसूस होता है,कि अब हम न ही बिस्तर बिछाते हैं,न ही हम कालीनें बिछाते हैं,न ही नजरे इनायत बिछाई जाती है,हम बिछाने में विश्वास नहीं करते .... हम तो खुद ही बिछ जाते हैं. एम.आर.अयंगर.094252791...

मंगलवार, 7 फ़रवरी 2012

कुछ तो लोग कहेंगे ...............अरशद अली

पुरानी धुन सुना तो ऐसा लगा की मेरे मन की छुपी बात को हीं गायक ने दुहराया हैकुछ तो लोग कहेंगे लोगों का काम है कहना............... आज पड़ोस के अंकल ने मुझसे कई साल बाद पूछ हीं लिया की मुझे अंकल क्यों कहते हो भैया कहा करो.मेरा मन खुश था की मुझे अपने आस पास के लोग नोटिस तो करने लगे नहीं तो पहले कभी ऐसा कहाँ हुआ था की बचपन से जिन्हें देख कर बड़ा हुआ वो मुझसे रिक्वेस्ट कर के बात करे. आज मै अंकल को अंकल नहीं भैया कह कर अंपने बड़े होने पर गर्ब कर ही रहा था की आंटी पर नज़र पड़ गयी.आखे गोल कर अभी सोंच हीं रहा था की अंकल तो अभी अभी भैया बन गए अब आंटी को भाभी कह देने पर कोई सामाजिक परेशानी तो नहीं हो जाएगी... कई बिचारों से गुजरते हूए इसी नतीजे पर पहुँचा...

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