मंच पर सक्रिय योगदान न करने वाले सदस्यो की सदस्यता समाप्त कर दी गयी है, यदि कोई मंच पर सदस्यता के लिए दोबारा आवेदन करता है तो उनकी सदस्यता पर तभी विचार किया जाएगा जब वे मंच पर सक्रियता बनाए रखेंगे ...... धन्यवाद   -  रामलाल ब्लॉग व्यस्थापक

हास्य जीवन का अनमोल तोहफा    ====> हास्य जीवन का प्रभात है, शीतकाल की मधुर धूप है तो ग्रीष्म की तपती दुपहरी में सघन छाया। इससे आप तो आनंद पाते ही हैं दूसरों को भी आनंदित करते हैं।

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शनिवार, 24 सितंबर 2011

पत्नी..!!

(Courtesy Google images) पत्नी..!! प्रिय मित्र, एक बार, एक पति देव से किसी ने सवाल किया,"पति-पत्नी के बीच विवाह - विच्छेद होने की प्रमुख वजह क्या है?" विवाहित जीवन से त्रस्त पति ने कहा,"शादी..!!" हमें तो इनका जवाब शत-प्रतिशत सही लगता है.!! पति आजीवन ऐसी गलतफ़हमी में जीता है कि, मेरी पत्नी, मेरे उन ख्याल के अनुरूप, बानी-व्यवहार अपना कर,सहजीवनका सच्चा धर्म निभा रही है..!! पर, सत्य हकीक़त यही होती है कि, विवाह के पश्चात, पति देव के ख्यालात आहिस्ता-आहिस्ता कब बदल कर पत्नी के रंग में रंग जाते हैं,पता ही नहीं चलता..!!  हालाँकि, पति देव के मुकाबले, जगत की सभी पत्नीओं की, छठी इंद्रिय (sixth sense) बचपन से ही, जाग्रत होने की वजह से, वह ये बात...

मंगलवार, 20 सितंबर 2011

मृत्युदंड !!!!!

                            मृत्युदंड                                                                                 जहाँ पूजनीय है नारी,                                                                             ...

मंगलवार, 13 सितंबर 2011

हिंदी दिवस के विशेष अवसर पर एक बार फिर श्री दोहरे जी की कविता का दोहरा आनंद लें.

!!!!!!! हाय हिंदी !! हिंदी सचिवालय के एक अंक में प्रकीशित श्री दोहरे जी की कविता – आपके समक्ष रख रहा हूँ. हाय हिंदी !!!!!         एक हिंद वासी सज्जन की हिंदी देख,       मैं हो गया मोहित,       जब उन्होंनें, हवा में अपने हाथों को लहराया,       और अपनी जोरदार आवाज में फरमाया।                Ladies and Gentlemen,               India हमारा country है,       हम सब इसके citizen हैं,       हिंदी बोलना हमारी duty है,        पर बेचारी हिंदी की किस्मत ही फूटी है,       आज कल की new generation,      ...

शनिवार, 10 सितंबर 2011

सैंडल को सैंडल ही रहने दो दीवानो ...

सैंडलों की उड़ान का हवाई किस्‍सा भरपूर उमड़ रहा है। विरोधियों के तो पेट में घुमड़ रहा है। यह वही घुमड़ है, जिससे मरोड़ उठते हैं। जिसके सैंडल है, उनके सामने करोड़ झुकते हैं। वे और ये क्‍या खा-सोचकर मुकाबला करेंगे। सैंडल इतने भी डल नहीं हैं। डल कहोगे तो काश्‍मीर की झील हो जायेंगे, भूल गए क्‍या वहां की तस्‍वीर भी। सैंडल कभी चर्चा में नहीं रही हैं। जूते पहले सुर्खियों में आए, फिर यदा-कदा चप्‍पलें भी आ पहुंची और अब एकदा सैंडलें पधारी हैं।वे भी लाने को तैयार हो गए, जहाज भेज तो हम लाते हैं और आते हुए मुंबई से सैंडलें खरीद लाते हैं। उन्‍हें जरूर अहसास, यह खास हो गया होगा कि अगले बरस वे ही होंगे, कौन का यह अहसास, प्रत्‍येक कोण से लुभा रहा है। पर जिसने बन जाना है पीएम, वो क्‍यों मंगवाए सैंडल जितनी चीज महीन।लीक्‍स का विकी अब लीक से हट रहा है। वैसे अपनी बात पर डट रहा है लेकिन जो डाट रहा है उसे, वो आंक...

मंगलवार, 6 सितंबर 2011

एकदम अद्भुत कला है मास्‍टरी

शिक्षक दिवस पर विशेषमास्‍टरी कला का गला कंप्‍यूटर दबा रहा है।मास्‍टरी को कला ही माना जाना चाहिए। किसी को पढ़ाना इतना आसान नहीं है, जितना समझ लिया जाता है। आजकल पढ़ाने वाले को, पढ़ने वाले पढ़ाने के लिए तैयार मिलते हैं। जरूरी नहीं है कि जो पढ़ाया जाना है, वो आपने पढ़ा ही हो। आपने नहीं पढ़ा होगा तो आपके लिए उसे पढ़ाना बहुत ही सरल होगा। आप निर्भय होकर कुछ भी कह सकते हैं। जब आपको उस बारे में कुछ मालूम ही नहीं है तो आप गलत पढ़ा रहे हैं, यह भी तो आपको नहीं मालूम हुआ।अब यह जिम्‍मेदारी तो आपको चयन करने वाले की बनती है कि उसने आपको पढ़ाने के लिए चुना ही क्‍यों, अगर चुन लिया है, फिर तो दोष उसी का है। इससे होने वाले बुरे परिणाम भुगतने के लिए भी उसे ही तैयार रहना चाहिए। अच्‍छे परिणाम या पारिश्रमिक पर तो पढ़ाने वाले का हक बनता है, इससे कोई इंकार कैसे कर सकता है।आपको मालूम ही है कि मास्‍टरी के बेंत यानी...

रविवार, 4 सितंबर 2011

कौभांडी नेतागण - सेक्स समस्या.©

(courtesy-Google images) " हमको अगर कोई छेड़ेगा तो हम छोड़ेगें नहीं ।" योगगुरु बाबा रामदेवजी उवाच..!! ====================== प्रिय मित्र, यह लेख काल्पनिक है । साम्यता योगानुयोग है । इसका हाल की घटनाओं से कोई लेनादेना नहीं है । ====================== मगध के राजा धननंद के दरबार में, ऋषिवर चणक के युवा पुत्र विष्णुगुप्तने अपने राजा को, उनके शासन में प्रवर्तमान भ्रष्टाचार और भ्रष्ट अधिकारीओंके बारे में जानकारी दी, तब विष्णुगुप्त की यह बात राजा धननंद के मन को रास न आयी. राजा को यह बात में अपना अपमान भाव महसूस हुआ और उन्होंने अपने सेनापति को आदेश देकर विष्णुगुप्त को अपने राज्य की सर हद के पार फेंकवा दिया । राजा के इस कृत्यसे आहत विष्णुगुप्त...

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