मंच पर सक्रिय योगदान न करने वाले सदस्यो की सदस्यता समाप्त कर दी गयी है, यदि कोई मंच पर सदस्यता के लिए दोबारा आवेदन करता है तो उनकी सदस्यता पर तभी विचार किया जाएगा जब वे मंच पर सक्रियता बनाए रखेंगे ...... धन्यवाद   -  रामलाल ब्लॉग व्यस्थापक

हास्य जीवन का अनमोल तोहफा    ====> हास्य जीवन का प्रभात है, शीतकाल की मधुर धूप है तो ग्रीष्म की तपती दुपहरी में सघन छाया। इससे आप तो आनंद पाते ही हैं दूसरों को भी आनंदित करते हैं।

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रविवार, 28 अगस्त 2011

भाग्यवान लड़की के मामले में तुम थोडा लेट हो........अरशद अली

लड़की वाले डरे-डरे से थे... लड़के वाले हरे-भरे से थे.. हाँथ में थाल लिए कन्या जैसे आई लड़के की माँ, पति पर चिल्लाई मुझे सातवीं बार वही लड़की दिखला रहे हो जगह बदल बदल कर एक हीं घराने में आ रहे हो पति झुंझला गया अपनी औकात पर आ गया कहा, भाग्यवान लड़की के मामले में तुम थोडा लेट हो... क्या करोगी जब मामला पहले से सेट हो.. हर बार लड़की देख कर कहती हो लड़की काली है यही काली लड़की तुम्हारे बेटे के बच्चे की माँ बनने वाली है श्रीमती बोली, मुझे उम्मीद नहीं था बेटे की नादानियों पर तुम भी गुल खिलाओगे अगर शादी यहाँ करोगे तो दहेज़ में क्या पाओगे? लड़की चुप्पी तोड़ कर कही, सासु अम्मा ...आज-कल में ले चलिए तो गाड़ी,फ्रीज़,टीवी सब ले जाइएगा चार महीने अगर लेट करियेगा तो दहेज़ में एक पोता भी पाइयेगा...

शनिवार, 27 अगस्त 2011

पीएम ने कहा और अनशन टूट गया

पी एम भी हैं प्रसन्‍न अन्‍ना भी हैं खुशतोड़ने वाले हैं अनशन पी एम ने बतलाया हैअभी अभी उनका संदेशमेरे मोबाइल पर आया है संदेश में लिखा हैकंप्‍यूटर प्रत्‍येक मर्ज की दवा है टाइप करो CORRUPTIONकर्सर को वहीं मटकने दोकंट्रोल प्‍लस ए दबाओफिर तुरंत डी दबाओकंट्रोल पर से न ऊंगली हटाओ देखना हुआ न चमत्‍कारडिलीट हो गया सारा भ्रष्‍ट्राचार लेकिन इतनी जल्‍दीमत खुश हो अन्‍नाअभी रिसाइकिल मेंजाकर बीन बजानी हैवहां से एम्‍पटी जगह तुरंत खाली करानी है उसके बाद न रहेगा भ्रष्‍टाचारन मिलेगा करप्‍शनचाहे करना सर्चचाहे करना फाइंडकितना ही लगाना माइंड देखा मिट गया करप्‍शनतोड़ दो अन्‍ना अपना अनशन खाओ भरपेट राशनअब मैं झाडूंगा भाषणअगर नहीं आता कंप्‍यूटर चलानातो सीखकर आओ अन्‍ना, क्‍योंइकट्ठा कर लिया है जमाना जाओ अन्‍ना कंप्‍यूटर सीख कर आओयूं ही मत विश्‍वभर में कोहराम मचाओजाओ अन्‍ना कंप्‍यूटर सीख कर आओ सारे विश्‍व का भ्रष्‍टाचार...

बुधवार, 24 अगस्त 2011

पीएम जादूगर हैं या मदारी : फिर जादू की छड़ी ?

बिल्‍कुल नहीं डरा हूं मैं। अगर पीएम पूरे 40 मिनिट मेरे बारे में ही बोलते रहते, मैं तो तब भी रंच मात्र भयभीत नहीं होता। जिस पीएम से उनके संगी-साथी और देशवासी ही नहीं डरते हैं, उनसे भला मैं क्‍यों डरूंगा, जबकि सारा विश्‍व जानता है कि वे किससे डरते हैं, इसका खुलासा भी मैं नहीं करूंगा। पीएम चाहे तो सब कुछ कर सकते हैं, पर वे चाह ही नहीं सकते, और जब उनके मन में चाह ही नहीं है तो उनके आगे कोई और राह खुल ही नहीं सकती है। जीवन में यह सच जान लेना चाहिए कि जी तो सिर्फ विचारों का वन है, वही ऐवन है जिसमें उपजता विचारों का स्‍पंदन है परंतु वन-उपवन से जिंदगी नहीं महका करती। जिसे बतला रहे हैं जादू की छड़ी, उनके क्‍या किसी के पास भी नहीं होती है कभी। जादू की छड़ी तो कहीं पाई भी नहीं जाती, यह तो बहानागिरी है। जज्‍बा होता है कुछ कर गुजर जाने का और वो पीएम में तो है ही नहीं। मुझे जो जड़ से मिटाना चाहते हैं, वे...

शनिवार, 20 अगस्त 2011

'अन्‍ना हमारे 'को भ्रष्‍टाचार ने पत्र लिखा

सुन अन्‍ना सुन, भ्रष्‍टाचार की मीठी धुन फिल्‍मी गीतों में बार बार कहा गया कि आपस में प्रेम करो देशवासियों। पर देशवासी आपस में प्रेम नहीं कर पाए। उन्‍हें सदा पैसे से प्रेम रहा। कोई उन्‍हें मिला ही नहीं, जो आपस में प्रेम करना सिखलाता। सिखलाने वाला चाहता तो था कि वे आपस में प्रेम करना सीखें। पर वे धन से प्रेम करना सीख रहे थे। आपस की तो छोडि़ए, उन्‍हें तो अपने अच्‍छे और बुरे का भेद ही नहीं रहा। वे जो कार्य करते थे, वे सीधे-सीधे उन्‍हें खुद को नुकसान पहुंचाते रहे। पर वे यह समझते रहे कि फायदा हो रहा है। ऐसी स्थिति में क्‍या किया जा सकता था, इस स्थिति का लाभ उठाया उन्‍होंने, जो सत्‍ता के लालची थे या सत्‍ता में विराजमान थे। वे फायदा उठाते रहे, झोलियां न अपनी, न हमारी – दूर वालों की भरती रहे।इन्‍हें कहा गया कि आपस में लड़ना मत। पर वे इन्‍हें लड़ाने में कामयाब होते रहे और ये लड़ते-भिड़ते रहे।...

बुधवार, 17 अगस्त 2011

शेयर बाजार की बेपेंदी की लुटिया

शेयर बाजार एक लोटा है। लोटा वही जो लुढ़क लुढ़क जाए। ऐसा लगता है इसकी पेंदी अमेरिका है। पेंदी हटी लुटिया डूबी। डूबने से पहले लुढ़केगी, लुढ़केगी नहीं तो डूबेगी भी नहीं, इसलिए लुटिया के डूबने के लिए लुढ़कना एक अनिवार्य शर्त है। लोटा वही जिसका पेंदा मजबूत हो। बिना पेंदे के लोटे को लुटिया ही कहा जाता है। बेपेंदी का तो बैंगन होता है। बैंगन लोटा नहीं होता, फिर भी थाली में बैठ जाए तो बैठ नहीं पाता है। इधर उधर हिलता हिलहिलाता है। लुटिया लूटती भी है फिर लुढ़कती भी है। लुटिया लुढ़कती है और लोग लुटते हैं।सेंसेक्‍स एक लोटा था। पर अब लुटिया हो गया है। लुढ़कने से कुछ न कुछ तो बाहर गिर ही जाता है। सदा हरा भरा, भरा भरा नहीं रहता है लोटा। इसकी हरकतें देखकर बिल्‍ली बंदर की पुरानी कथा बंदरबांट वाली याद हो आई, जिसमें बंदर ने पूरी रोटी खाई है। सेंसेक्‍स में भी यही हो रहा है। पर इस नई लोटा कथा में न तराजू है, न...

गुरुवार, 11 अगस्त 2011

आज कल 2nd हैण्ड जूता भी 200 में आता है .....अरशद अली

पुत्र ने पिता से पूछा, पापा मुनाफा किसे कहते हैं? पिता ने सरलता से कहा, कोई बस्तु कम कीमत का हो और अधिक मूल्य में बीक जाता है तो जो अतिरिक्त धन प्राप्त होता है वही मुनाफा है. पुत्र ने कहा, तब तो मुझे मुनाफा कमाना आ गया असल में चौकीदार को आपका जूता भा गया कल आप मम्मी पर जूते को लेकर चिल्ला रहे थे तुम्हारे बाप का दिया दहेजुआ जूता एक कौड़ी का है बतला रहे थे... मैंने उसी एक कौड़ी के जूते को चौकीदार से 20 रूपया में बेच दिया हूँ और एक कौड़ी के जूते पर कई रूपया मुनाफा लिया हूँ पिता ने कहा, मुर्ख के बच्चे वो जूता तो तुम्हारी माँ से लड़ने का एक बहाना था.. उसे हीं बेच कर तुम्हे मुनाफा कमाना था? जरुर तुम्हारी माँ ने ये सिखलाया होगा तुम्हारे हाथ से उसी ने जूता बिकवाया होगा पुत्र बोला,नहीं -नहीं चौकीदार कुछ दिनों से नंगे पाँव काम पर आ रहा था कल देखा वो थोडा लंगड़ा रहा था पूछने...

मंगलवार, 9 अगस्त 2011

दिमाग की आग में जलकर सब राख

खेलों में भारत रत्न पाने के असली दावेदार सुरेश कलमाड़ी हैं। किसी खेल विशेष में न सही, परंतु कॉमनवेल्थ गेम्स आयोजित करवाने में जितनी भ्रष्टता उन्होंने बरती है, उसे एक विश्व कीर्तिमान स्वीकारा गया है। निःसंदेह बिना दावा सबमिट किए असली भारतीय खेल रतन के दावेदार वे ही बनते हैं। अगर यह रत्न अगले पांच वर्षों तक लगातार उन्हें ही दिया जाता रहे, तो भी कम ही है। खेल में खेलकर तो कोई भी रत्न हथिया सकता है, लेकिन बिना खेले सिर्फ आयोजन से जुड़कर रत्न हथियाना, कोई गिल्ली डंडा खेलना नहीं है। खेलों की व्यवस्था के आयोजनपूर्व व्यवस्थाओं में ही खूब सारे घपले- घोटालों का जो कीर्तिमान भोलू कलमाड़ी ने बनाया है, उसका दूर दूर तक कोई प्रतिद्वंद्वी नहीं दिखलाई देता है। सब इन्हीं का ही बूता है कि घपले भी छोटे छोटे नहीं, विशालकाय और मोटे मोटे। कई हजार और उसमें जुड़े हैं करोड़ भी। इन्हें भोलू क्यों कहा गया है, इस बारे...

रविवार, 7 अगस्त 2011

Indian Traffic Rules ...Wah !!!!

A comedy or tragedy I can't say but it is true... ( NOT THE TRUE FACT) ON INDIAN  ROADS --- THE LEFT IS RIGHT AND THE RIGHT IS WR...

मंगलवार, 2 अगस्त 2011

शीला के शब्‍दों की जवानी

दिल्‍ली की सीएम को टारगेट करके दिल्‍ली के लोकायुक्‍त ने आरोपों की बौछार कर दी है लेकिन उन्‍होंने बुरा न मानते हुए जो सहज बयानी की है वो कितनी सरल है कि उन पर आरोप लगाए जा रहे हैं और वे हंसी-खुशी बिना बुरा माने जवाब दे रही हैं।आप भी इसका भरपूर जायजा लीजिए। उनकी सोच है कि अगर आरोप लगाने वाले का कर्म आरोप लगाना है तो उनका धर्म लगाए गए आरोपों का उचित जवाब देना है। सकारात्‍मक सोच की धनी सीएम पर लगाए गए आरोप तो आप अब तक अखबारों में पढ़ ही चुके हैं, उसी संदर्भ में उनकी प्रतिक्रिया पेश है। उनका कहना है कि राजीव रत्‍न योजना के मकान तैयार हैं, फिर मकान खुद तो चलकर रहने वाले गरीब लोगों तक जाने से रहे।उसमें रहने वालों को खुद चलकर, अपना सामान ढोकर वहां रहने के लिए आना होगा। वैसे हमने गरीबों को अगर मकान बनाकर नहीं दिए तो उन्‍हें फुटपाथ पर सोने से भी तो मना नहीं किया है, जहां पर उन्‍हें सोने दिया जा रहा...

सोमवार, 1 अगस्त 2011

आधुनिक बोधकथाएं - ६. प्रिय कविता ।

सौजन्य-गूगल। एक बड़े ही स्मार्ट और हेन्डसम युवा कवि के साक्षात्कार का, एक  कार्यक्रम , टी.वी. पर, भरी दोपहर में, प्रसारित हो रहा था ।  इस कार्यक्रम को, एक  हॉटेल  में  किटी  पार्टी  मना  रही, कुछ  आधुनिक-मुक्त विचारोंवाली महिलाएं, बड़े चाव से  निहार रही थीं ।  टी.वी. एन्कर-"सर, आप कविता कब से लिख रहे हैं?" युवा कवि-" जब मैं, कॉलेज में अभ्यास करता था तब से..!!" टी.वी. एन्कर-" सर, आपको कौन सी कविता सब से अधिक प्रिय है?" युवा कवि-" देखिए, वैसे तो मुझे मेरी सारी कविता प्रिय है,पर मेरी `चाहत` नाम की, एक कविता मुझे आज भी सब से अधिक प्रिय है ।" टी.वी. एन्कर-"सर, आपकी कोई ताज़ा कविता...

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