मेरे पिछले पोस्ट में मजबूरी वश मुझे प्राप्त सवाल का जवाब ही पोस्ट कर सका क्योंकि सवाल मेल से मिट गया था.
अब वही सवाल मेरे पास फिर आ गया है, इसलिए सवाल और जवाब दोनों पोस्ट कर रहा हूँ.
सवाल था गधे पर फोटो देख कर शेयर लिखिए.
और प्रेषक का शेर भी साथ था --
देखिए फोटो, पढ़िए शेर और फिर मेरा जवाब... शायद अब तालमेल भाए..
प्रेषक का शेर...
हर समंदर में साहिल नहीं होता,
हर जहाज पे मिसाइल नहीं होता,
अगर धीरुभाई अम्बानी नहीं होता,
तो - हर गधे के पास मोबाईल नहीं होता |
मेरा जवाब ....
Sahi hai bhai,
सही बात है भाई !!!!!
Aaj har gadhe ke paas mobile hota hai,
आज हर गधे के पास मोबाईल होता है,
par kya har mobile wala gadha hota hai?
पर क्या मोबाईल वाला गधा होता है?
Agar haan to sochye !!!!!!*अगर हाँ तो सोचिए,
waqt padne par gadhe ko bhi baap banana padta hai,
वक्त पड़ने पर गधे को भी बाप बनाना पड़ता है,
kya waqt aane par "baap ko bhi ........................"?
क्या वक्त आने पर बाप को भी "........................................."?
…………………………………
सही बात है भाई !!!!!
Aaj har gadhe ke paas mobile hota hai,
आज हर गधे के पास मोबाईल होता है,
par kya har mobile wala gadha hota hai?
पर क्या मोबाईल वाला गधा होता है?
Agar haan to sochye !!!!!!*अगर हाँ तो सोचिए,
waqt padne par gadhe ko bhi baap banana padta hai,
वक्त पड़ने पर गधे को भी बाप बनाना पड़ता है,
kya waqt aane par "baap ko bhi ........................"?
क्या वक्त आने पर बाप को भी "........................................."?
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10 टिप्पणियाँ:
अगली बार गधे लैपटाप वाले मिल जायेंगे
वाह ...बहुत खूब
पवार (सर) जी,
आज तक की टिपिणियों में बेहतरीन टिप्पणी दी है आपने.
शुक्रगुजार हूँ.
रेखा जी प्रोत्साहन के लिए आपका भी बहुत बहुत धन्यवाद ...
अयंगर.
जनवरी से बाज़ार मे मिलेगा 3000 रु वाला कम्प्युटर "आकाश"......
अब तो गधे मोबाइल छोड़ कम्प्युटर रखेंगे .....
गजेंद्र जी,
वाह !!! वाह !!!
यह तो लेटेस्ट है...
अयंगर.
जैसे गधे पर शेर की तलाश पूरी हुई, वैसे ही हर शेर को एक अदद गधे की तलाश होती है।
..ती है।
देवेंद्र जी,
आपने सटीक टिप्पणी की.
जरूरी है और मिला भी,
सधन्यवाद,
अयंगर.
तुम इसे मोबाइल समझे, और गधे को टहला गए
लगा जैसे सुना तुमको, बस कान कुछ खुजला गए।
वाह!!! वाह !!!
क्या बात कही......
वह काम अपना कर गया, गधे की तो छोड़िए,
करते हुए कविता न जाने , संग कितने हो लिए.
अयंगर.
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