बिल्कुल नहीं डरा हूं मैं। अगर पीएम पूरे 40 मिनिट मेरे बारे में ही बोलते रहते, मैं तो तब भी रंच मात्र भयभीत नहीं होता। जिस पीएम से उनके संगी-साथी और देशवासी ही नहीं डरते हैं, उनसे भला मैं क्यों डरूंगा, जबकि सारा विश्व जानता है कि वे किससे डरते हैं, इसका खुलासा भी मैं नहीं करूंगा।
पीएम चाहे तो सब कुछ कर सकते हैं, पर वे चाह ही नहीं सकते, और जब उनके मन में चाह ही नहीं है तो उनके आगे कोई और राह खुल ही नहीं सकती है। जीवन में यह सच जान लेना चाहिए कि जी तो सिर्फ विचारों का वन है, वही ऐवन है जिसमें उपजता विचारों का स्पंदन है परंतु वन-उपवन से जिंदगी नहीं महका करती।
जिसे बतला रहे हैं जादू की छड़ी, उनके क्या किसी के पास भी नहीं होती है कभी। जादू की छड़ी तो कहीं पाई भी नहीं जाती, यह तो बहानागिरी है। जज्बा होता है कुछ कर गुजर जाने का और वो पीएम में तो है ही नहीं। मुझे जो जड़ से मिटाना चाहते हैं,
वे मिटाने की कोशिशें करते-करते एक दिन खुद ही मिट जाते हैं। जो मुझे मिटाना चाहते हैं एक बार वे खुद तो मिटने के लिए तैयार हों, वे तो जादू की छड़ी, सिर्फ इन तीन शब्दों को जादू की तरह इस्तेमाल कर रहे हैं और हर मौके पर फेल हो रहे हैं। वे पीएम हैं, मदारी नहीं है, यह तो उन्हें समझना चाहिए। जब मदारी नहीं हैं और न जादूगर ही हैं तो फिर क्यों बार बार जादू की छड़ी, जो होती ही नहीं है, उसी के इर्द-गिर्द अपने शब्दों के जाल-जंजाल बुनते रहते हैं।
अगर वे मदारी या जादूगर होते तो कहते कि मैं पीएम नहीं हूं और मेरे पास कुर्सी नहीं है। पर मैंने आजतक किसी मदारी या जादूगर को ऐसा कहते नहीं सुना है। आपने सुना है क्या ?
मजमा वही सफल होता है जिसे मदारी खुद जमाता है और उसी से भरपूर कमाता है। वही मदारी बंदर-बंदरी को मन के माफिक नचाता है, वही जहरीले सांपों को काबू में रखकर खेल दिखाता है, वही जंगली भालू को काबू करके नाच नचवाता है, वही मदारी अपने बच्चों को ऐसा होशियार बनाता है, उनको कलाकारी सिखाता है, उन्हीं से जोकर का काम लेता है, वे ही बच्चे हवा में रस्सी पर बेसहारे चलकर करतब दिखलाते हैं –
अब ऐसा तो नहीं करता है मदारी कि सारे काम खुद ही संपन्न करता है या करेगा तो सफल हो जाएगा। तो समझ लीजिए कि सफल प्रबंधन का जो गुर सड़कछाप मदारी जानता है, उससे हमारे पीएम क्यों अनभिज्ञ हैं ?
मदारी तमाशा दिखानेवाला है, वो खुद कभी तमाशा नहीं बनता। वो खुद तो सलाम भी नहीं ठोकता, वो कटोरा लेकर सबसे इनाम भी नहीं मांगता। बस सबको ड्यूटी बांट देता है, फिर खुद भाषण ही देता है, डुगडुगी की ताल पर सबको नचाता है और अपना पूरा धंधा खूब शान से चलाता है और हमारे पीएम .........
और डर ... डर मैं नहीं रहा हूं, डर गए हैं पीएम। अन्ना हमारे हैं जिनसे डर गए सारे हैं।
8 टिप्पणियाँ:
बिलकुल ठीक कहा है अविनाशजी आपने पी एम् आगे आकर कुछ करना ही नहीं चाहते हैं ......अन्ना से तो सारी पार्टियाँ डरी हुई है
डर मैं नहीं रहा हूं, डर गए हैं पीएम। सही कहा है
अगर वे मदारी या जादूगर होते तो कहते कि मैं पीएम नहीं हूं और मेरे पास कुर्सी नहीं है।
वैसे भी उनके पास कुर्सी का होना या न होना एक बराबर है
जी तो सिर्फ विचारों का वन है, वही ऐवन है जिसमें उपजता विचारों का स्पंदन है परंतु वन-उपवन से जिंदगी नहीं महका करती।
सही कहा है
पता नहीं कौन डर रहा है या नहीं? बस देश की सांसे थमी हैं।
वे तो जादू की छड़ी, सिर्फ इन तीन शब्दों को जादू की तरह इस्तेमाल कर रहे हैं और हर मौके पर फेल हो रहे हैं। वे पीएम हैं, मदारी नहीं है
dare wo jo galat kaam kare...Hamare P.M. to na sahi karte hain na galat jo ustaad kehta hain wo hi karte hain...
Aane wali peedhi Santa Banta ki jagah Manmohan ka hi naam legi. manmohan vyang ka paryayvachi hoga.
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