मंच पर सक्रिय योगदान न करने वाले सदस्यो की सदस्यता समाप्त कर दी गयी है, यदि कोई मंच पर सदस्यता के लिए दोबारा आवेदन करता है तो उनकी सदस्यता पर तभी विचार किया जाएगा जब वे मंच पर सक्रियता बनाए रखेंगे ...... धन्यवाद   -  रामलाल ब्लॉग व्यस्थापक

हास्य जीवन का अनमोल तोहफा    ====> हास्य जीवन का प्रभात है, शीतकाल की मधुर धूप है तो ग्रीष्म की तपती दुपहरी में सघन छाया। इससे आप तो आनंद पाते ही हैं दूसरों को भी आनंदित करते हैं।

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गुरुवार, 31 मार्च 2011

थेंक्स पाकिस्तान,कुछ मीठा हो जाएं ?

थेंक्स पाकिस्तान,कुछ मीठा हो जाएं ?http://mktvfilms.blogspot.com/2011/03/blog-post_31.html ===============स्पष्टता- यह केवल व्यंग्य-वार्ता है, किसी भी जाति विशेष का दिल दुखाने का, लेखक का कतई इरादा नहीं है । कृपया लेख के तत्व को, अपने माथे पर न ओढें..धन्यवाद ।===============सोहेब (सहवाग से)," छक्का लगा के दिखा?"सहवाग (सचिन की ओर इशारा करके)," सामने तेरा बाप खड़ा है, उसे जाकर बोल..!!"कमेन्टेटर- " और, सोहेब की गेंद पर, सचिन का ये बेहतरीन छक्का..!!"( सभी दर्शक,खड़े होकर - `हो..हो..हो..हो.ओ..ओ..!!`)==============चम्पक और चम्पा नाचते-गाते हुए, स्टेज पर प्रवेश करते हैं । "लगा सचिन का छक्का,देखो गीलानी के माथे..!! भागा शाहिद दुम दबाकर `शहीदों` से आगे..!! हे..ई, ता..आ, थै..ई..या, थैया, ता...आ..आ थै..!!" ==============चम्पा," हे..ई, चम्पक, हिंदुस्तान-पाकिस्तान का सेमी फ़ाइनल...

बुधवार, 30 मार्च 2011

वह 28 साल के हैं, और मैं 25 की.......

एक नवविवाहित युवक अपनी पत्नी को अपनी पसंदीदा जगहों की सैर करा रहा था, सो, वह पत्नी को उस स्टेडियम में भी ले गया, जहां वह क्रिकेट खेला करता था...अचानक वह पत्नी से बोला, "क्यों न तुम भी बल्ले पर अपना हाथ आज़माकर देखो... हो सकता है, तुम अच्छा खेल पाओ, और मुझे अभ्यास के लिए एक साथी घर पर ही मिल जाए..."पत्नी भी मूड में थी, सो, तुरंत हामी भर दी और बल्ला हाथ में थामकर तैयार हो गई...पति ने गेंद फेंकी, और पत्नी ने बल्ला घुमा दिया...इत्तफाक से गेंद बल्ले के बीचोंबीच टकराई, और स्टेडियम के बाहर पहुंच गई...पति-पत्नी गेंद तलाशने बाहर की तरफ आए तो देखा, गेंद ने करीब ही बने एक सुनसान-से घर की पहली मंज़िल पर बने कमरे की खिड़की का कांच तोड़ दिया है...अब पति-पत्नी...

मंगलवार, 29 मार्च 2011

छींटाकशी -2

छींटाकशी - 2कसम गीता और कुरान की ले,गर सभी सच बोलें यहाँ,तो वकीलों की जिरह की,बँध रहा है क्यों समा ?.................................भीड़ से कतराए जो,उनको ये मंशा दीजिए,जाकर कहीं एवरेस्ट पर,एक कमरा लीजिए.......................................भूख लगती है उसे तो,दूध से नहलाइए,एक कतरा मुँह न जाए,अच्छी तरह धमकाइए........................................बालकों ने गर उधम की,इसकी सजा उनको मिले,मत भिड़ो के है मुसीबत,ये लूटते हैं काफिले..........................................घिस रहा हूँ मैं कलम,कोइ तलवे घिस रहा,रगड़ ली है नाक उसने,खूँ न फिर भी रिस रहा..........................................साल भर हम सो रहे थे,एक दिन के वास्ते,जागते ही ली जम्हाई,और फिर हम सो गए..........................................

सोमवार, 28 मार्च 2011

रास्ता साफ है क्या...!!!!

गजोधर एक कंपनी में काम करते थे जहा पर उनकी ड्यूटी अक्सर रात की हुआ करती थीएक रात गजोधर और उसकी पत्नी अपने बेडरूम में आराम से सो रहे थे,और अचानक रात को दो बजे फोन की घंटी बजी... दोनों की नींद खुल गई,गजोधर ने फोन उठाया, इससे पहले कि वह कुछ कह पाता,दूसरी तरफ से आवाज़ आनी शुरू हो गई, गजोधर सुनता रहा,और अचानक चीखकर बोला, "साले, मैं क्या म्यूनिसिपैलिटी में काम करता हूं..." जब चीख-चिल्लाकर गजोधर ने फोन पटक दिया,पत्नी ने प्यार से पूछा, "कौन था, जानू...?" गजोधर ने उखड़े सुर में जवाब दिया,"पता नहीं, कौन कमीना था... साला, मुझसे पूछ रहा था, रास्ता साफ है क्या.....

चड्डी सँभाल तोरी,नेताजी ।

चड्डी सँभाल तोरी,नेताजी । http://mktvfilms.blogspot.com/2011/03/blog-post_28.html " इज़्ज़त  का  फालुदा  तेरा, जगह जगह  बिकता है ।   लिज्ज़त लेकर, ईर्षालु देख, भीतर भीतर जलता है ।" =========== प्यारे दोस्तों, आजकल हमें तो बहुत ही मज़ा आ रहा है ..!! विकिलीक्स का `चड्डी खींच, लिकेज कर अभियान`,  रोज़ नये-नये लोगों की चड्डी खींच रहा है और सभी, सम्माननीय महानुभव जो की आजतक दूसरों की `चड्डी की खींचतान` के अद्भुत नज़ारे का लुत्फ़ बड़े चाव से उठा रहे थे, वही लोग अब अपनी-अपनी चड्डी सँभालने में जुट गये हैं । ये तो वही बात हुई की..!! " न खलु अक्षिदुःखितः अभिमुखे दीपशिखां सहते । " अर्थात - नज़र का बीमार आदमी दीपशिखाकी रौशनी को सहन नहीं कर सकता ।    `विक्रमोर्वशीयमम्` - महाकवि कालिदास । अब आप के मन में सवाल उठने वाला है की,"विकिलीक्स द्वारा जितने ...

रविवार, 27 मार्च 2011

कनपुरिया होली .......

हरीश प्रकाश गुप्त जी की यह पोस्ट हमने हमारे ब्लॉग ‘मनोज’ पर लगाया था। आज इसे हास्य व्यंग ब्लोगर्स महासभा में पेश कर रहा हूं। क्योंकि यह आपके चेहरे पर एक मुस्कुराहट लाने का प्रयास, हँसे क्योंकि इससे तनाव दूर होता है और स्वास्थ्य उत्तम रहता है.. व्यंग्य कनपुरिया होली ....... हरीश प्रकाश गुप्त यदि आप हमारे कानपुर नगर के इतिहास, भूगोल और संस्कार से परिचित नहीं हैं तो मान लीजिएगा कि आपकी जानकारी का लेविल कुछ कम है। बात कुछ कड़क लग रही हो तो कृपा करके इसे थोड़ा घुमाकर समझ लीजिए। यह आपका ही काम है। लेकिन सच तो सच ही है। हो सकता है कि आपने अभी तक इस शहर के दर्शन ही न किए हों। यह भी हो सकता है कि आपने यहाँ की पावन महिमा का बखान किसी के श्रीमुख से...

गुरुवार, 24 मार्च 2011

पहला पोस्ट हास्य व्यंग ब्लॉगर्स महासभा में...

मुर्दा नाचा मुर्दा नाचा ----------------------   कल के उस फिल्मी दौर को, याद करने से दुख होता है कि हम आज कहाँ हैं ? समाज का वह दर्पण जिसे फिल्मी साहित्य के नाम से जानते हैं, आज बाजारु हो गई है, जिज्ञासा को परत दर परत , नोंच-नोंच कर आवरण रहित कर दिया है, अर्धनग्नता की कामुता को, नग्नता ने अश्लील बना दिया है। हीरो व विलेन में अन्तर उतना ही बचा है, जितना हीरोइन व कैबरे डाँसर में रह गया है। गानों के वे वर्ण, छंद राग व वे चित्रण, अब नहीं मिलते, जिसमें कविता का आनंद था, साहित्य का भी मान था, राग की सलिलता थी, और चित्रण न भावों को आपस में बाँधने वाला माध्यम।  इससे हर तरह से आनंदमय वातावरण बन जाता था। सभी पारिवारिक सदस्यों के साथ फिल्म देखने का,एक अनूठा आनंद था, अब या तो प्रेमी प्रेमिका, या फिर पति पत्नी ही फिल्म को , साथ बैठ कर देख सकते हैं, कॉलेज से भाग कर जाने वाले छोरे छोरियों...

भड़कीले सवाल - चटकीले जवाब भाग -१.

भड़कीले सवाल - चटकीले जवाब भाग -१.  http://mktvfilms.blogspot.com/2011/03/blog-post_24.html भड़कीला SMS सवाल-"सवेरे-सवेरे मेरे नयन में आज कुछ चुभ रहा है प्रिया, कल रात ख़्वाब में शायद तुम्ही आयी थी क्या ?"  चटकीला जवाब - "ओह.., मेरे प्यारे भाई साहब, अगर आप मुझसे  मुख़ातिब है तो  हम, रक्षा-बंधन के शुभ पर्व पर अवश्य मिलेंगे और अगर आपने ये सवाल आपकी भावी सास (मेरी मम्मी) से किया है, तब तो  ख़ुदा ख़ैर करे ।"    =======  प्यारे दोस्तों,  फ़र्स्ट अप्रैल का अप्रैलफूल-डे नज़दीक आ रहा है । हमारे कुछ दोस्तों ने, अपने मन की भड़ास निकालने के लिए, हमसे कुछ भड़कीले सवाल पूछे हैं ।  उन सारे सवालों का जवाब देना, हमारा परम मानव धर्म एवं एकमेव कर्तव्य है ।  दोस्तों, हम जवाब तो दे रहें हैं पर उसमें बताए गए, उपाय खुद अपनी ज़िम्मेदारी पर ही आज़माना, किसी...

मंगलवार, 22 मार्च 2011

"ढाक के तीन पात" का क्या अर्थ है?

पति: आज खाने में क्या बनाओगी? पत्नि: जो आप कहें पति: वाह, ऐसा करो आज दाल चावल बना लो। पत्नि: अभी कल ही तो खाया था। पति: तो सब्जी रोटी बना लो! पत्नि: बच्चे नहीं खायेंगे। पति: छोले पूरियां बना लों, कुछ चेंज हो जायेगा। पत्नि: मुझे भारी भारी लगता है पति: ओके, आलू कीमा बना लो पत्नि: आज मंगलवार है मीट की दुकान बंद होगी। पति: तो गोभी के पराठें बना लो। पत्नि: सुबह यही तो खाये थे। पति: चलो, आज होटल से खाना मंगवा लेते हैं। पत्नि: इस महंगाई में रोज रोज बाहर से खाना मंगाना ठीक नहीं। पति: तो एक काम करो कढ़ी चावल बना लो। पत्नि: अब इस वक्त दही कहां मिलेगा। पति: ...पुलाव बना लो... पत्नि: इसमें बहुत टाइम लगता है पति: पकोड़े बना लो, इसमें टाइम नहीं लगता पत्नि: खाने के टाईम पर पकोड़े अच्छे नहीं लगते पति: फिर क्या बनाओगी ? पत्नि: मेरा क्‍या है.... जो आप कहें। ------------------- पि‍ता पुत्र से - आज तक तुमने कोई...

गुरुवार, 10 मार्च 2011

हमारे बाथरूम में......

नर्सरी क्लास में छोटे बच्चों से पुछा गया "भगवान कहाँ है?"एक बच्चे ने जोर जोर से हाथ हिलाया "मुझे पता है!!"टीचर ने कहाँ "अच्छा बताओं"बच्चे ने बताया "हमारे बाथरूम में"एक पल के लिये टीचर चुप! फ़िर संभलते हुए बोली "तुम्हे कैसे पता?"बच्चा बोला "रोज सुबह जब पापा उठते है,बाथरूम का दरवाजा पिटते हुए कहते है -हे भगवान ! तुम अब तक अंदर ही हो!"...

सोमवार, 7 मार्च 2011

धक धक बजट

नहीं पढ़ा जाए तो यहां पर क्लिक क...

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