थेंक्स पाकिस्तान,कुछ मीठा हो जाएं ?
http://mktvfilms.blogspot.com/2011/03/blog-post_31.html
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स्पष्टता- यह केवल व्यंग्य-वार्ता है, किसी भी जाति विशेष का दिल दुखाने का, लेखक का कतई इरादा नहीं है । कृपया लेख के तत्व को, अपने माथे पर न ओढें..धन्यवाद ।
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सोहेब (सहवाग से)," छक्का लगा के दिखा?"
सहवाग (सचिन की ओर इशारा करके)," सामने तेरा बाप खड़ा है, उसे जाकर बोल..!!"
कमेन्टेटर- " और, सोहेब की गेंद पर, सचिन का ये बेहतरीन छक्का..!!"
( सभी दर्शक,खड़े होकर - `हो..हो..हो..हो.ओ..ओ..!!`)
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चम्पा," हे..ई, चम्पक, हिंदुस्तान-पाकिस्तान का सेमी फ़ाइनल मैच तुने देखा क्या?"
चम्पक," ऐसा क्यों पूछती हैं, हमने साथ बैठ कर तो देखा था..!! भूल गई क्या?"
चम्पा," अरी बुद्धु, मैं तो ये पूछ रही थीं की, क्या तुमने मैच ध्यान से देखा था?"
चम्पक," हाँ भाई हाँ, ध्यान से ही देखना चाहिये ना?"
चम्पा," अच्छा? बोल, क्या-क्या देखा था?"
चम्पक,"हैं ना..आ..आ, पाकिस्तान की आख़िरी विकेट गिरी तब, वो, केटलकांड वाले शशीभाई, देश भ्रमण-मस्त राहुल बाबा, परम आदरणीय गंभीर-वदन सोनियाजी और दूसरे कई गणमान्य बड़े-बड़े महानुभवों को, नन्हे मुन्ने बच्चों को, खड़े होकर ताली बजाते देख, मुझे बहुत मज़ा आया ।"
चम्पा,"चम्पक, तुम तो, बुद्धु के बुद्धु ही रहे..!! ताली-ढोल-नगाड़ा-फटाकों का आनंद तो, खुशी से सारा देश एक साथ मना रहा था । इसमे नयापन क्या है?"
चम्पक," चम्पा-चम्पा, अब तु ही बता दे ना? मेच में, तुने क्या खास देखा?"
चम्पा,"हमारे गाँव में, बहुत पुराना भगवान श्रीभोलेनाथजी का एक मंदिर है । उस..में...!!
चम्पक,(चम्पा की बात काटते हुए ।)" मैच की बातों में मंदिर कहाँ से आ गया?"
चम्पा, " अगर बीच में बोला तो, मैं कुछ भी न बताउंगी..हाँ..!!"
चम्पक," अच्छा बाबा, बीच में नहीं टोकूंगा, अब तो बता?"
चम्पा," हमारे गाँव के मंदिर के पुजारी ४० साल के हो गये मगर बेचारे कुँवारे ही रह गये थे । उनको, पैसों के बदले में, शादी कराने वाला, कोई दलाल मिल गया और उसने ढेर सारे रुपये के बदले में पुजारी की शादी एक `दिग्विजया` नामक, बड़ी ही सुंदर कन्या से शादी करवा दी, पुजारी की शादी के जुलूसमें सारा गाँव उल्लासपूर्वक सामिल हुआ ।"
चम्पक," फिर..,फि..र, क्या हुआ?"
चम्पा," फिर क्या? सुहाग रात को पुजारी को पता चला की, दलाल ने उन्हें ठग लिया था और सुंदर कन्या से शादी रचाने के नाम पर, सुंदर `छक्का` हाथ में थमा दिया था..!!"
चम्पक," ही..ही..ही..ही.. ये तो.. ही..ही..ही..,बहुत बुरा हुआ..!! फिर क्या हुआ?"
चम्पा," सब गाँव वालों को जब पता चला, तब कई लोग अपनी हँसी न रोक पाए और कई समझदार लोगों ने अफसोस व्यक्त किया । किसी ने पुजारी से पूछा की वह अब क्या ये छक्के को तलाक दे देगा? तब पुजारी ने सिर्फ इतना ही कहा की, ये जो भी है, जैसा भी है..!! मेरे लिए दाल-रोटी बना देंगा तो, कम से कम मेरे पेट की भूख तो शांत होगी?"
चम्पक," ही..ही..ही, ये सब तो ठीक है पर, मेच की बात में पुजारी कहाँ से आ गया?"
चम्पा," अरी,मूर्ख, देख हमारे प्रधानमंत्रीजीने, पाकिस्तान के प्रधानमंत्रीजी को बैंड-बाजा-बारात के साथ `दिविजया` नामक सुंदर कन्या से शादी के लिए आमंत्रित किया?"
चम्पक," हाँ किया, तो..ओ..!!"
चम्पा," क्या, तो.ओ..!! फिर पाकिस्तान के प्रधानमंत्रीजी की शादी `दिग्विजया` नामक सुंदर कन्या के बजाय `पराजय` नामक बेहतरीन `छक्के` से करवाई ना..?"
चम्पक," हाँ..आँ..यार, तेरी बात तो बिलकुल सही है?"
चम्पा," ओर सुन, ३० मार्च की सेमी फ़ाइनल मेच के दो दिन बाद कौन सी तारीख आती है?"
चम्पक," पहली अप्रैल..!!"
चम्पा," अब पाकिस्तान के प्रधानमंत्रीजी, बैंड-बाजा-बारात से साथ, हिंदुस्तान में,`दिग्विजया` से शादी करने के,बडे अरमान लेकर आएं हो और यहाँ सबने उनको एडवांस में अप्रैल फूल बनाकर,शादी के नाम पर,`पराजय` नामक छक्का गले बांध दिया हो, ऐसे में पुरे देश में ढोल-नगाडे-फटाके और आनंदोत्सव का माहौल का होना स्वाभाविक ही तो है..!!"
चम्पक," वाह..रे..मेरी चम्पाकली, तुम तो बहुत ही अक़्लमंद गई हो ना..!! वाह..भाई..वाह..!!"
चम्पा," चम्पक, तुमने क्या, किसी देशवासी ने, ग़लती से भी, श्रीमती सोनियाजी को दोनों हाथ उपर करके कूदते हुए, राहुलबाबा को खुशी से चीखते हुए, और श्रीमनमोहनसिहजी को दंतावली दिखा कर हँसते, तालियाँ बजाते हुए, इतने बरसों में कभी देखा है?"
चम्पक," नहीं जी, कभी नहीं? सब खुश थे ।"
चम्पा,"तभी तो..!! हमारे क्रिकेट के सारे खिलाड़ियों ने पाकिस्तान को समझा दिया है की, अगर हमारा लाडला सचिन ज़िद करें की, यह मेरा आखिरी वर्ल्ड कप है और मुझे कप चाहिए । तो बिना ज्यादा प्रयत्न किए, हम सचिन के बच्चों को खेलने के लिए, वर्ल्ड कप का खिलौना भी आसानी से दिला सकते हैं । तो फिर..?"
चम्पक," फिर..? फिर क्या?"
चम्पा," सचिन की ज़िद पर हम उसे वर्ल्ड कप दे सकते हैं तो, हिंदु,मुस्लिम,सिख,ईसाई सारे देशभकत हिंन्दुस्तानीओं की ज़िद पर हम कश्मीर की एक इंच ज़मीन भी पाकिस्तान को लेने नहीं देंगे ।"
चम्पक," सही है,पर चम्पा ये तो बता?अब `पराजय` नामक छक्के से शादी तो पाकिस्तानी प्रधानमंत्रीजीने कर ली है, मगर उसे पाकिस्तान ले जाकर उसका क्या करेंगे?""
चम्पा," हाँ, बात तो सोचने वाली है..!! अब श्री युसूफ़ रझा गीलानीजी, `पराजय` को अपने घर में तो रखेंगे नहीं ? शायद पाकिस्तान जाकर उनकी सुप्रसिद्ध `हिरामंडी` बाजार में में दलालों के हवाले कर देंगे..!!"
चम्पक," ही..ही..ही..ही..ई..ई..ई..!!"
चम्पा," इतना हँस क्यों रहा है?"
चम्पक," अब मैं तूझे राज़ की एक बात बताऊं?"
चम्पा, "क्या?"
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" ANY COMMENT?"
मार्कण्ड दवेः दिनांक- ३१ मार्च २०११.
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स्पष्टता- यह केवल व्यंग्य-वार्ता है, किसी भी जाति विशेष का दिल दुखाने का, लेखक का कतई इरादा नहीं है । कृपया लेख के तत्व को, अपने माथे पर न ओढें..धन्यवाद ।
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सोहेब (सहवाग से)," छक्का लगा के दिखा?"
सहवाग (सचिन की ओर इशारा करके)," सामने तेरा बाप खड़ा है, उसे जाकर बोल..!!"
कमेन्टेटर- " और, सोहेब की गेंद पर, सचिन का ये बेहतरीन छक्का..!!"
( सभी दर्शक,खड़े होकर - `हो..हो..हो..हो.ओ..ओ..!!`)
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चम्पक और चम्पा नाचते-गाते हुए, स्टेज पर प्रवेश करते हैं ।
"लगा सचिन का छक्का,देखो गीलानी के माथे..!!
भागा शाहिद दुम दबाकर `शहीदों` से आगे..!!
हे..ई, ता..आ, थै..ई..या, थैया, ता...आ..आ थै..!!"
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चम्पा," हे..ई, चम्पक, हिंदुस्तान-पाकिस्तान का सेमी फ़ाइनल मैच तुने देखा क्या?"
चम्पक," ऐसा क्यों पूछती हैं, हमने साथ बैठ कर तो देखा था..!! भूल गई क्या?"
चम्पा," अरी बुद्धु, मैं तो ये पूछ रही थीं की, क्या तुमने मैच ध्यान से देखा था?"
चम्पक," हाँ भाई हाँ, ध्यान से ही देखना चाहिये ना?"
चम्पा," अच्छा? बोल, क्या-क्या देखा था?"
चम्पक,"हैं ना..आ..आ, पाकिस्तान की आख़िरी विकेट गिरी तब, वो, केटलकांड वाले शशीभाई, देश भ्रमण-मस्त राहुल बाबा, परम आदरणीय गंभीर-वदन सोनियाजी और दूसरे कई गणमान्य बड़े-बड़े महानुभवों को, नन्हे मुन्ने बच्चों को, खड़े होकर ताली बजाते देख, मुझे बहुत मज़ा आया ।"
चम्पा,"चम्पक, तुम तो, बुद्धु के बुद्धु ही रहे..!! ताली-ढोल-नगाड़ा-फटाकों का आनंद तो, खुशी से सारा देश एक साथ मना रहा था । इसमे नयापन क्या है?"
चम्पक," चम्पा-चम्पा, अब तु ही बता दे ना? मेच में, तुने क्या खास देखा?"
चम्पा,"हमारे गाँव में, बहुत पुराना भगवान श्रीभोलेनाथजी का एक मंदिर है । उस..में...!!
चम्पक,(चम्पा की बात काटते हुए ।)" मैच की बातों में मंदिर कहाँ से आ गया?"
चम्पा, " अगर बीच में बोला तो, मैं कुछ भी न बताउंगी..हाँ..!!"
चम्पक," अच्छा बाबा, बीच में नहीं टोकूंगा, अब तो बता?"
चम्पा," हमारे गाँव के मंदिर के पुजारी ४० साल के हो गये मगर बेचारे कुँवारे ही रह गये थे । उनको, पैसों के बदले में, शादी कराने वाला, कोई दलाल मिल गया और उसने ढेर सारे रुपये के बदले में पुजारी की शादी एक `दिग्विजया` नामक, बड़ी ही सुंदर कन्या से शादी करवा दी, पुजारी की शादी के जुलूसमें सारा गाँव उल्लासपूर्वक सामिल हुआ ।"
चम्पक," फिर..,फि..र, क्या हुआ?"
चम्पा," फिर क्या? सुहाग रात को पुजारी को पता चला की, दलाल ने उन्हें ठग लिया था और सुंदर कन्या से शादी रचाने के नाम पर, सुंदर `छक्का` हाथ में थमा दिया था..!!"
चम्पक," ही..ही..ही..ही.. ये तो.. ही..ही..ही..,बहुत बुरा हुआ..!! फिर क्या हुआ?"
चम्पा," सब गाँव वालों को जब पता चला, तब कई लोग अपनी हँसी न रोक पाए और कई समझदार लोगों ने अफसोस व्यक्त किया । किसी ने पुजारी से पूछा की वह अब क्या ये छक्के को तलाक दे देगा? तब पुजारी ने सिर्फ इतना ही कहा की, ये जो भी है, जैसा भी है..!! मेरे लिए दाल-रोटी बना देंगा तो, कम से कम मेरे पेट की भूख तो शांत होगी?"
चम्पक," ही..ही..ही, ये सब तो ठीक है पर, मेच की बात में पुजारी कहाँ से आ गया?"
चम्पा," अरी,मूर्ख, देख हमारे प्रधानमंत्रीजीने, पाकिस्तान के प्रधानमंत्रीजी को बैंड-बाजा-बारात के साथ `दिविजया` नामक सुंदर कन्या से शादी के लिए आमंत्रित किया?"
चम्पक," हाँ किया, तो..ओ..!!"
चम्पा," क्या, तो.ओ..!! फिर पाकिस्तान के प्रधानमंत्रीजी की शादी `दिग्विजया` नामक सुंदर कन्या के बजाय `पराजय` नामक बेहतरीन `छक्के` से करवाई ना..?"
चम्पक," हाँ..आँ..यार, तेरी बात तो बिलकुल सही है?"
चम्पा," ओर सुन, ३० मार्च की सेमी फ़ाइनल मेच के दो दिन बाद कौन सी तारीख आती है?"
चम्पक," पहली अप्रैल..!!"
चम्पा," अब पाकिस्तान के प्रधानमंत्रीजी, बैंड-बाजा-बारात से साथ, हिंदुस्तान में,`दिग्विजया` से शादी करने के,बडे अरमान लेकर आएं हो और यहाँ सबने उनको एडवांस में अप्रैल फूल बनाकर,शादी के नाम पर,`पराजय` नामक छक्का गले बांध दिया हो, ऐसे में पुरे देश में ढोल-नगाडे-फटाके और आनंदोत्सव का माहौल का होना स्वाभाविक ही तो है..!!"
चम्पक," वाह..रे..मेरी चम्पाकली, तुम तो बहुत ही अक़्लमंद गई हो ना..!! वाह..भाई..वाह..!!"
चम्पा," चम्पक, तुमने क्या, किसी देशवासी ने, ग़लती से भी, श्रीमती सोनियाजी को दोनों हाथ उपर करके कूदते हुए, राहुलबाबा को खुशी से चीखते हुए, और श्रीमनमोहनसिहजी को दंतावली दिखा कर हँसते, तालियाँ बजाते हुए, इतने बरसों में कभी देखा है?"
चम्पक," नहीं जी, कभी नहीं? सब खुश थे ।"
चम्पा,"तभी तो..!! हमारे क्रिकेट के सारे खिलाड़ियों ने पाकिस्तान को समझा दिया है की, अगर हमारा लाडला सचिन ज़िद करें की, यह मेरा आखिरी वर्ल्ड कप है और मुझे कप चाहिए । तो बिना ज्यादा प्रयत्न किए, हम सचिन के बच्चों को खेलने के लिए, वर्ल्ड कप का खिलौना भी आसानी से दिला सकते हैं । तो फिर..?"
चम्पक," फिर..? फिर क्या?"
चम्पा," सचिन की ज़िद पर हम उसे वर्ल्ड कप दे सकते हैं तो, हिंदु,मुस्लिम,सिख,ईसाई सारे देशभकत हिंन्दुस्तानीओं की ज़िद पर हम कश्मीर की एक इंच ज़मीन भी पाकिस्तान को लेने नहीं देंगे ।"
चम्पक," सही है,पर चम्पा ये तो बता?अब `पराजय` नामक छक्के से शादी तो पाकिस्तानी प्रधानमंत्रीजीने कर ली है, मगर उसे पाकिस्तान ले जाकर उसका क्या करेंगे?""
चम्पा," हाँ, बात तो सोचने वाली है..!! अब श्री युसूफ़ रझा गीलानीजी, `पराजय` को अपने घर में तो रखेंगे नहीं ? शायद पाकिस्तान जाकर उनकी सुप्रसिद्ध `हिरामंडी` बाजार में में दलालों के हवाले कर देंगे..!!"
चम्पक," ही..ही..ही..ही..ई..ई..ई..!!"
चम्पा," इतना हँस क्यों रहा है?"
चम्पक," अब मैं तूझे राज़ की एक बात बताऊं?"
चम्पा, "क्या?"
चम्पक," पाकिस्तानी प्रधानमंत्री युसूफ़ रझा गीलानीजी के हाथ में `छक्का` थमाने की साज़ीश में, सारे पाकिस्तानी ख़िलाडी शादी करानेवाले दलाल के साथ मिले हुए थे?"
चम्पा," हें..ई..ई..ई, शाबाश चम्पक, ये क्या कह रहा है?"
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" ANY COMMENT?"
मार्कण्ड दवेः दिनांक- ३१ मार्च २०११.
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4 टिप्पणियाँ:
पाकिस्तानी प्रधानमंत्री युसूफ़ रझा गीलानीजी के हाथ में `छक्का` थमाने की साज़ीश में, सारे पाकिस्तानी ख़िलाडी शादी करानेवाले दलाल के साथ मिले हुए थे?"
हा हा हा सही बात....
इस पराजय नामक छक्के की शादी पर बहुत सारे हिन्दुस्तानी छक्कों को भी बेहद तकलीफ हुई थी... समझ रहे हो न चम्पक ?:)
वाह वाह ! क्या लिखा है !
केटलकांड वाले शशीभाई, देश भ्रमण-मस्त राहुल बाबा, परम आदरणीय गंभीर-वदन सोनियाजी
हा हा हा हा बहुत बढ़िया
अति सुंदर
भारतीय टीम को जीत का तोहफा
बढ़िया लिखा है
चम्पा," ओर सुन, ३० मार्च की सेमी फ़ाइनल मेच के दो दिन बाद कौन सी तारीख आती है?"
चम्पक," पहली अप्रैल..!!"
लो जी पहली तारीख भी आ गयी , बहुत बढ़िया लिखा है
एक टिप्पणी भेजें
कृपया इन बातों का ध्यान रखें : -
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1- लेख का शीर्ष अवश्य लिखें.
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2- अपनी पोस्ट लिखते समय लेबल में अपना नाम अवश्य लिखें.
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3- लेख की विधा जैसे व्यंग्य, हास्य कविता, जोक्स आदि लिखें.
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4- तदुपरांत अपने पोस्ट/लेख के विषय का सन्दर्भ अपने-अनुसार लिखें.
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