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मंगलवार, 22 मार्च 2011

"ढाक के तीन पात" का क्या अर्थ है?

पति: आज खाने में क्या बनाओगी?
पत्नि: जो आप कहें
पति: वाह, ऐसा करो आज दाल चावल बना लो।
पत्नि: अभी कल ही तो खाया था।
पति: तो सब्जी रोटी बना लो!
पत्नि: बच्चे नहीं खायेंगे।
पति: छोले पूरियां बना लों, कुछ चेंज हो जायेगा।
पत्नि: मुझे भारी भारी लगता है
पति: ओके, आलू कीमा बना लो
पत्नि: आज मंगलवार है मीट की दुकान बंद होगी।
पति: तो गोभी के पराठें बना लो।
पत्नि: सुबह यही तो खाये थे।
पति: चलो, आज होटल से खाना मंगवा लेते हैं।
पत्नि: इस महंगाई में रोज रोज बाहर से खाना मंगाना ठीक नहीं।
पति: तो एक काम करो कढ़ी चावल बना लो।
पत्नि: अब इस वक्त दही कहां मिलेगा।
पति: ...पुलाव बना लो...
पत्नि: इसमें बहुत टाइम लगता है
पति: पकोड़े बना लो, इसमें टाइम नहीं लगता
पत्नि: खाने के टाईम पर पकोड़े अच्छे नहीं लगते
पति: फिर क्या बनाओगी ?
पत्नि: मेरा क्‍या है.... जो आप कहें।
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पि‍ता पुत्र से - आज तक तुमने कोई ऐसा काम कि‍या जि‍ससे मेरा सि‍र ऊंचा होता हो ?
पुत्र - आप भूल गये पि‍ता जी... याद करि‍ये परसों ही तो टीवी देखते समय जब आपने लेटना चाहा तो मैंने आपके सि‍र के नीचे दो तकि‍ये लाकर रखे थे।

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