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बुधवार, 11 मई 2011

बेड़ा गर्क हो पुरूस्कार पाने वाले ब्लागरो का

अष्टावक्र

दिल्ली से लौटे ललित शर्मा जी से रायपुर स्टेशन पर मुलाकात हो गयी उनकी चढ़ी हुई मूछे स्पष्ट तौर पर पुरूस्कार की खुशी झलका रही थी । मुझे देखते ही प्रसन्नता से बोले क्या हाल है दवे जी मेरा सीना चाक हो गया मरी हुयी आवज मे मैने कहा ठीक ही है । शर्मा जी पुराने चावल है दर्द ताड़ गये पूछा क्या बात है भाई मैने कहा छोड़िये गुरूदेव आप बताइये कैसी कटी दिल्ली मे । शर्मा जी उत्साह से चालू हो गये और मेरे सीने मे ज्वाला और भड़कने लगी मै जोर से चिल्लाया बस बस अब मुझसे न सुना जायेगा । शर्मा जी बोले यार जब से मिला है अलग टाईप का दिख रहा है बात क्या है ।

मुझसे रहा न गया अकेले अकेले इनाम पा लिया अब हम दुखी भी न हों ये हक भी छीन लो । शर्मा जी हड़बड़ाये यार तू तो जुम्मा जुम्मा चार महिने से ब्लागिंग कर रहा है तेरे को इनाम कैसे मिल जाता । मैने पूछ लिया क्या वरिष्ठता के आधार पर पुरूस्कार बटे हैं । शर्मा जी बोले वो बात नही है पर लोग सालो से लिख रहे हैं सैकड़ो की संख्या मे लेख लिख चुके हैं तूने तो 50 भी नही लिखे होंगे । मैने फ़िर पूछा क्या संख्या के आधार पर इनाम बटे हैं । तू बात समझ ही नही रहा है लोगो के लेखो मे सैकड़ो की संख्या मे कमेंट आते तुम्हारे ब्लाग मे कितने आते हैं मैने कहा गुरू टोपी मत घुमाओ तू मेरी खुजा मै तेरी खुजाउं वाले कमेंट को कमेंट नही कहते " अच्छा लेख मेरे ब्लाग पर भी आना हवे ए गुड डॆ " क्या ऐसे कमेंट पुरूस्कार का आधार थे


शर्मा जी अब नाराज हो चुके थे बोले दो मिनट बिना बोले मेरी बात सुनोगे तो बोलता हूं वरना मै चला । मैने सहमती मे सर हिलाया शर्मा जी बोले मेरे भाई संस्था ने प्रतियोगिता रखी थी उसमे लोगो ने अपना लेख भेजा उसमे से संस्था ने 51 लोगो को चुन कर उन्हे पुरूस्कार दिये । यदि आपने भेजा होता और उनको लेख पसंद आता तो आपको भी मिलता आपने भेजा ही नही तो पुरूस्कार कैसा । मैने कहा मेरे जैसे लेट आने वालों या जो लेख भेज नही पाये थे उनसे लेट फ़ीस ले लेते और उनको भी मौका देते अरे बता ही देते की इतना बड़ा पुरूस्कार समारोह होने वाला है लोग सतर्क न हो जाते । मेल भेज दिया आमंत्रण का बस अरे भाई हम भी सम्मानित सदस्य हैं टिकट भेजा होता या फोन ही कर दिया होता हमारा अपमान तो हुआ है बस मै इससे आगे कुछ नही जानता ।


और तो और ऐसा समारोह किया कि ब्लागीवुड धर्म के आधार पर बट गया जिनको आपने सम्मान गौर कीजियेगा पुरूस्कार नही सम्मान नही दिया उनको अपना अलग समारोह करना पड़ गया दो जगह खर्चा हुआ वो अलग अरे भाई उनके पुरूस्कार भी इसी मंच से बाट देते 51 के बदले 71 सही भीड़ भी ज्यादा होती सब खुश रहते और खर्चा शेयर हो जाता वो अलग । ललित शर्मा जी लाजवाब थे बोले मेरे चाचा मै क्या करूं कि तेरा गुस्सा शांत हो जाये । मैने कहा पुरूस्कार के दिन मैने दुखी होकर चुरा कर एक तुकबंदी बनाई है पूरा सुनना पड़ेगा मजबूरी मे शर्मा जी बोले इरशाद


मै शुरू हो गया



कितने ऐश उड़ाते होंगे

कितना इतराते होंगे

जाने कैसे लोग वो होंगे

जो इनाम पाते होंगे


इनाम की याद के बादेसमां मे

और तो क्या होता होगा

हम लोग जो पहले से थे बिफ़रे

और बिफ़र जाते होंगे


वो जो इनाम न पाने वाला है न

हमको उनसे मतलब था

इनाम पाने वालो से क्या मतलब

मिलता होगा पाते होंगे


शर्मा जी कुछ तो हाल सुनाओ

उन कयामत लिफ़ाफ़ो का

वो जो पाते होंगे उनको

खुशी से पगला जाते होंगे


मै इतना ही सुना पाया था कि शर्मा जी ने हाथ जोड़े बोले मेरे भाई ये लिफ़ाफ़ा धर और बोल तो मेरा पुरूस्कार भी रख ले आज के बाद मै कसम खाता हूं जहां तुझे पुरूस्कार न मिलेगा मै भी नही लूंगा । हाथ मे लिफ़ाफ़ा लिये और शर्मा जी का वादा लिये मै रंजो गम भुलाकर चैन से घर की ओर रवाना हो गया ।

13 टिप्पणियाँ:

बढ़िया लिखा है , इस लेख पर तो पुरस्कार मिलना ही चाहिए

अरे अरे , ललित जी को पुरस्कार मिला और आपको नहीं , ये तो बहुत नाइंसाफी है

रंजो गम भुलाने का बढ़िया तरीका है..!!

पुरस्कार चाहिए
तो आप भी लगे हाथो एक समारोह कर डालिए,

और हमे पुरस्कार देना न भूल जाना इस आइडिया के लिए

शर्मा जी ने हाथ जोड़े बोले मेरे भाई ये लिफ़ाफ़ा धर और बोल तो मेरा पुरूस्कार भी रख ले

बढ़िया वाह क्या बात है शर्मा जी को पका दिया

वाह ! बढ़िया हास्य | पढ़कर मजा आ गया |

दिल के किसी और कोने से निकली रचना को नमन और आपसे सहानुभूति ...

इनाम कि क्या बात है जी, खुद प्रोग्राम करो और खुद इनाम ले लो.

आप कहे तो हम पुरस्कार समारोह रख देते है आप के लिए ... पर पुरस्कार पाने के लिए आपको हमारी पुस्तक "राम लाल की आत्मकथा" खरीदनी होगी

जिसकी कीमत मात्र 495/- है (डाक खर्च आपको देना होगा)

आप सभी के स्नेह का बहुत आभार पुरूस्कार समारोह से ब्लागर समाज मे कुछ मनमुटाव उतपन्न हो गया था । इस हास्य प्रस्तुति से सबको खुश कर वैमनस्य खत्म करने का मेरा यह प्रयास था

पुरुस्कार वितरण तो एक रहस्य है किसे क्यों जैसी बाते भी बहुत है

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