एक लेखक की आत्महत्या - स्यूसाईड नोट।
लेखक कहता हैः- " ये मेरी अंतिम पोस्ट और अंतिम पत्र है क्योंकि, अब मैं जीना नहीं चाहता, जिस वक़्त आप मेरा ये अंतिम पत्र यह पढ़ रहे होंगे, मैंने आत्मघात कर लिया होगा, अलविदा दोस्तों..!!"
===========
( लेखक और उसका साया एक दूसरे से संवाद कर रहे हैं ...!!)
साया- "तुम ये क्या कर रहे हो?
मैं - " लिख रहा हूँ ।"
साया- " लिखते समय इतने सारे काग़ज़ बिगाड़ने ज़रूरी हैं क्या?"
मैं -"नहीं..!!"
साया-"तो फिर तुमने इतने काग़ज़ क्यों बिगाड़े?"
मैं -"मैं लिख नहीं पा रहा हूँ..!!"
साया-"क्या तुम्हारे दिमाग की बत्ती गुल है?"
मैं -"नहीं..!!"
साया-" क्या तुम लेखक हो?"
मैं -"पता नहीं? मैं तो ब्लॉगर हूँ ।"
साया-" ब्लॉगर? ब्लॉगर क्या होता है?"
मैं -" ब्लॉगर वो है, जो कहीं का नहीं होता है..!!"
साया-" मतलब? ना घर का, ना घाट का?"
मैं -"ऐसा ही कुछ, ना परिवार का-ना समाज का..!!"
साया-" ब्लॉगर क्यों लिखता रहता है?"
मैं -" भड़ास निकाल कर, चैन से जीने के लिए..!!"
साया-" तुम चैन से जीने के लिए लिख रहे हो?"
मैं -"नहीं, चैन से मरने के लिए ।"
साया-"मतलब? तुम मरना चाहते हो? मगर क्यों?""
मैं -"बस, ऐसे ही, बिना वजह..!!"
साया-" कोई वजह तो होगी ही..!!
मैं -"...........!!"
साया-"अच्छा,. ये बताओ, जीना-मरना तुम्हारे हाथों में है?"
मैं -"हाँ, मेरी मौत मेरे हाथों में है ।"
साया-" यहाँ तुम अकेले रहते हो?"
मैं -" हाँ, इतने बड़े संसार में, मेरा कोई नहीं है..!!"
साया-" और ब्लॉग जगत में?"
मैं -" पूरा नेट जगत मायावी (Elusive) और आभासी (virtual) है । वहाँ भी मेरा कोई नहीं है..!!"
साया-" कोई तो होगा, जो तुम्हारी लिखनी से प्यार करता हो?"
मैं -" नहीं, यहाँ सब एक-दूजे को चने के पेड़ पर चढ़ाने में लगे हुए हैं..!!
साया-" तेरे घर में कोई नहीं है?"
मैं -"कोई नहीं है, मैं अकेला रहता हूँ ।"
साया-" परिवार,यार-दोस्त सारे लोग कहाँ गए?
मैं -" ब्लॉगिंग की वजह से, सारे लोगों से मेरा साथ छूट गया है..!!"
साया-"कोई नौकर-चाकर तो होगा ही ना?"
मैं -"है..!! एक ग़रीब लड़का, छोटू ।"
साया-"तुम्हारे मरने के ऐन समय पर, कहीं तुम्हारा छोटू आ गया तो..ओ?
मैं -"नहीं आएगा, वो दो-तीन दिन की छुट्टी पर गया हुआ है ।"
साया-" ह..म..म..म..!! ऐसा क्या लिख रहे हो कि, इतने सारे काग़ज़ फाड़ने पड़े?"
मैं -" स्यूसाईड नोट- Suicide note..!!”
साया-" स्यूसाईड नोट? इसका क्या मतलब?
मैं -" मृत्यु के बाद की, अंतिम इच्छा..!!"
साया-" मरने के पश्चात भी, इच्छाएं जीवित रहती है?"
मैं -" नहीं रहती..!!"
साया-"पर, तुमने अभी-अभी अंतिम इच्छा कहा ना?"
मैं -“……….. ..”
साया-"किस प्रकार आत्महत्या करने का इरादा है?"
मैं -" तय नहीं किया..!!"
साया-"आत्महत्या के कितने तरीके जानते हो?"
मैं -" हाथ/गले की नस काट कर, रस्सी से लटक कर, पिस्तौल की गोली से, ज़हर खा कर, उंचे बिल्डिंग से या फिर, ट्रेन के नीचे कूद कर, वगैरह ?"
साया-"तुम कौन सा तरीका अपना रहे हो?"
मैं -"शायद, रस्सी से लटक कर ।"
साया-" अगर तुम बच गए तो..ओ?"
मैं -" नहीं बचूंगा..!!"
साया-" तुम सचमुच मरना चाहते हो?"
मैं -"हाँ, मेरा मरना तय है ।"
साया-"अगर जिंदगी, नये सिरे से तुम्हें समझाने आ जाए तो?"
मैं -"अब मैं किसी की, एक नहीं सुननेवाला..!!"
साया-" देख लो, डोरबेल बज रही है,लगता है, तुम्हें समझाने के लिए जिंदगी आ गई है..!!"
मैं -" बजाने दे, मैं दरवाज़ा खोलने वाला नहीं हूँ..!!"
साया-" देखो तो सही? शायद, दरवाज़े पर, तुम्हारा अपना कोई आया हो?"
मैं -"ह...म..म..!! ठीक है देखता हूँ ।"
(ट्रीन..न..न..न..,खट़ाक..!!)
==========
मैं -"अरे, छोटू तुम?"
छोटू - " क्या सा`ब, आप भी? कितना घंटी बजाया..!! सुबह हो गई, आप नहा लिए क्या? देखो सा`ब, आज छोटू को मरने की भी फ़ुरसत नहीं है, मुझे बहुत काम है । यहाँ साफ-सफाई कर के,दूसरे और तीन-चार घर के काम निपटाने है ।
मैं -"..................!!"
छोटू - "सा`ब ये क्या, इतने सारे काग़ज़ फाड़े हैं? रात भर, लिख रहे थे क्या?"
मैं -"..................!!"
छोटू - " क्या कहा, अपुन ने छुट्टी कैन्सल क्यों किया? जाने दो ना सा`ब..!! घर में पागल माँ को संभालने का, छोटे भाई को ई-स्कूल छोड़ने का, बाप तो सा..ला बेवड़ा था..!! परसों ही देशी ठर्रा पी कर मर गया साल्ला..!! एक ही दिन में, उसका अंतिम क्रिया करम निपटा कर, आज काम पर आ गया..!!"
मैं -"..................!!"
छोटू -" ज़िंदगी ऐसे ही चलती है, अपुन का गुरु बोलता है, कभी हिम्मत नहीं हारने का..!! मरना है तो इज़्ज़त से मरने का, समझे क्या? एक दिन तो सभी को मरना ही है, मगर बुज़दिल की माफ़िक नहीं मरने का..!!"
मैं -“……….....”
छोटू -" अरे..!! सा`ब, ये रस्सी यहाँ कौन लाया, आप? मगर कुछ लिखने के लिए, रस्सी का क्या काम? इसे भीतर रख दूँ क्या?
मैं -“……….....”
==========
साया-" क्यों, ब्लॉगर-लेखक राजा.!! आत्महत्या करने का इरादा अब भी बाकी है क्या? मैंने कहा था ना, दरवाज़े पर ज़िंदगी डोरबेल बजा रही है?"
मैं -" या..र, अभी के अभी यहाँ से फौरन तु फूट ले, तुमने तो, फ़िजूल में, मेरे दिमाग की बत्ती गुल कर दी..!!"
साया-“……….....”
मैं -" कहाँ गया? कहाँ चला गया मेरा साया? मेरे दिमाग की बत्ती गुल कर के, तुम फूट लिए क्या..!!"
साया-“……….....”
==========
मैं लेखक -" कोई बात नहीं, मेरे प्यारे साहिबान..!! आप तो यहाँ हाज़िर है ना? ब्लॉग जगत में, है कोई मेरा, जो मेरा मार्गदर्शन कर सकें? सा`ब, क्या करूँ मैं, आत्महत्या कर लूँ ,या ब्लॉगिंग करता रहूँ?"
जिंदगी से कौन डरता है भला, मरना जब दुश्वार* हो?
अवसि* मरना भी कौन चाहेगा, पास जब अवार* हो..!!
दुश्वार*=कठिन
अवसि*=निःसंदेह
अवार*=किनारा
मार्कण्ड दवे । दिनांक- २९-०५-२०११.
7 टिप्पणियाँ:
बढ़िया लगा आपका ये सुसाइड नोट
साया-" ब्लॉगर क्यों लिखता रहता है?"
मैं -" भड़ास निकाल कर, चैन से जीने के लिए..!!"
मजेदार लगा ये वाक्य
बहुत बढ़िया लगा सुसाइड नोट.....
संवाद बहुत अच्छे ...... सुखद समाप्ति
majedar likha hai
धारदार व्यंग्य।
---------
विश्व तम्बाकू निषेध दिवस।
सहृदय और लगनशीन ब्लॉगर प्रकाश मनु।
क्या बात है ! बहुत ही मजेदार गुफ्तगू पेश की है ब्लॉगर के मन की
कृपया अन्य लेखको की पोस्ट भी पढे
एक टिप्पणी भेजें
कृपया इन बातों का ध्यान रखें : -
***************************
***************************
1- लेख का शीर्ष अवश्य लिखें.
=====================================================
2- अपनी पोस्ट लिखते समय लेबल में अपना नाम अवश्य लिखें.
=====================================================
3- लेख की विधा जैसे व्यंग्य, हास्य कविता, जोक्स आदि लिखें.
=====================================================
4- तदुपरांत अपने पोस्ट/लेख के विषय का सन्दर्भ अपने-अनुसार लिखें.
=====================================================
*************************************************************
हास्य व्यंग ब्लॉगर्स असोसिएशन की सदस्यता लेने के लिए यहा क्लिक करे