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रविवार, 8 मई 2011

Old ,नशा-Gold,प्रेम पत्र । PART-3

Old ,नशा-Gold,प्रेम पत्र ।
(सौजन्य-गूगल)


परत जम गई है *अलगरजी की, दिल की सतह पर ,
देख   पाओगे   क्या  तुम,  दिल  के  तलवे  का  दर्द?


*अलगरजी = बेपरवाही

मेरा ब्लॉग-

http://mktvfilms.blogspot.com/2011/05/old-gold-part-1.html


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आधुनिक प्रेम पत्र ।


अब आधुनिक प्रेम पत्रों के बारे में क्या कहना? उसकी गुणवत्ता और स्तर को दर्शाने के लिए, ये एक ही उदाहरण पर्याप्त है, चलो देखें?


कुछ साल पहले, रूपये-पैसे से सुखी, मेरे एक मित्र का, फिल्मी हीरो जैसा दिखने वाला सुंदर पुत्र, जो कि कॉलेज के प्रथम वर्ष में अभ्यास कर रहा था, घर में किसी को बिना कुछ बताए, अपने पड़ोस में रहती, उसकी बचपन की गर्लफ़्रेंड के साथ कहीं भाग गया..!!


कॉलेजियन हीरो के पिता के साथ झगड़ा करके, भगोड़ी कन्या सग़ीर होने का दावा कर के कन्या के पिता ने, मेरे मित्र के फिल्मी हीरो-बेटे पर, अपनी बेटी का अपहरण करने का इल्ज़ाम लगाकर, दोनों को चौबीस घंटे में हाज़िर करने की या फिर फौज़दारी, सख़्त कानूनी कार्यवाही करने की धमकी दी ।


इस धमकी से डर हुए मेरे मित्र ने, सहायता एवं विचार विमर्श करने के लिए, तुरंत मुझे बुलवा लिया । वैसे यह बात जानकर मुझे बड़ी हैरानी हुई क्योंकि, वह कॉलेजियन हीरो के साथ मेरी अच्छी दोस्ती थी और मुझे पता था कि, हीरो को, ये कन्या शादी के लिए कतई पसंद न थीं..!! बाद में मैंने सोचा,"भाई, आजकल के युवाओं का कोई भरोसा नहीं, आज लड़की नापसंद है-कल पसंद भी हो जाए?"


हालाँकि, दूसरे दिन शाम को दोनों प्रेमी पंछी, उनके दोस्त के यहाँ से पकड़े गए, मेरे मित्र ने दोनों को समझाने के लिए, मुझे फिर से बुलवा लिया । अब इस में, मैं  क्या कर सकता था?


करीब तीन-चार घंटे तक दोनों परिवार के बीच,आक्षेप-प्रतिआक्षेप, वादविवाद और तनाव चलता रहा । बाद में मेरी जिज्ञासा,चरम सीमा पार हो जाने के कारण, वह भगोड़े युवा दोस्त को मैंने आखिर पूछ ही लिया,

" अरे, या..र,जब शादी के लिए तेरी ये गर्लफ्रैंड, तुम्हें नापसंद थी, तो फिर उसके साथ भागा क्यों और वो भी `TWO DAYS -ONE NIGHT STAY` के पैकेज तक?"


दोनो परिवारों के झगड़े की वजह से हैरान-परेशान हीरो प्रेमी, बड़े व्याकुल मन से बोला,"अंकल, मैं उसे कुछ भाव न देता था इसलिए, उस घमंडी लड़की ने मुझे प्रेम पत्र भेजा, जिस में उसने मुझे `हिजड़े` की गाली दी थी,ये रहा वह प्रेम पत्र..!!

हीरो प्रेमी की ये बात सुन कर मैं सन् रह गया, मैंने झट से उस लड़की का प्रेम पत्र पढ़ा..!!(BAD MANNERS?) पत्र पढ़ कर, मैं परेशान हो गया,सचमुच पत्र मे, बड़े कठोर शब्दों में, उस हीरो बोयफैंड की मर्दानगी पर शक कर के, उसको ललकारा गया था..!!


चेहरे पर किसी विजयी बंदर जैसे, अहंकारी भाव धारण करके हीरो प्रेमी ने आगे कहा," अंकल, वैसे मैंने ,`TWO DAYS -ONE NIGHT STAY` के पैकेज के दौरान साबित कर दिया कि, मैं हिजड़ा नहीं हूँ..!! अब आगे वो गर्लफ्रैंड जाने या  उसका बाप?"
 
आखिर, दोनों परिवारों के, सभी बुजुर्ग के दबाव में आकर,दो माह पश्चात,लड़की को अढ़ारह साल आयु पूर्ण होते ही,अपने कॉलेजियन हीरो साहब को,उस सिर फिरी, उच्छृंखल, नापसंद, सग़ीर गर्लफ्रैंड के साथ मज़बूरन शादी करनी पड़ी, इस कहानी का आखिर अंत सुखद आया और `घी के बर्तन में घी` पड़ा रहा..!!
 
दोस्तों, सन-१९१३ से १९३१ तक, मूक फिल्मों का ज़माना था इसलिए, भारत में, समाज पर नाटक के गीतों का अतिशय प्रभाव था और कई प्रेमी पंछी, अपने हृदय के भाव व्यक्त करने के लिए, वही गानों की पंक्तिओं द्वारा अपनी भावनाओं को प्रकट करते थे ।
 
कभी कभी, ये बात ज़रा ताज्जुब सी लगती है कि, पुराने प्रेम पत्रों में जो मासूमियत और प्रामाणिकता थी, वह अब सेटेलाईट माध्यम से भेजे जानेवाले प्रेम संदेश में क्यों देखने को नहीं मिलती..!!
 
आधुनिक ज़माने में तो आश्चर्य जनक तरीके से,` SMS, MMS, E-MAIL` वगैरह को `DELETE ` करने में जितनी देर लगती है,इतनी ही देर में  एक प्रेम संबंध को तोड़ कर, दूसरा प्रेम संबंध तैयार रखा जाता है । अगर किसी को कोई आशंका हो तो,सबूत के तौर पर, हर शुक्रवार को, `BINDASS TV`,प्रसारित हो रहा, `ईमोशनल अत्याचार` नामक कार्यक्रम अवश्य देखना चाहिए ।
 
सन-१९८० कि सेटेलाईट क्रांति तक, कुछ प्रेमी शीघ्र कवि, अपने मन से, कोई भी मनगढ़ंत शेरोशायरी तत्काल बना कर, अपना प्रेम भाव, प्रेम पत्र में व्यक्त कर लेते थे ।
 
उदाहरण स्वरूप-
 
" आपको पता नहीं है, कितना दर्द है मेरी आह में, मेरी हस्ती मिटा दूँ तेरी याद में ।"
 
 "दूर रहती हूँ लेकिन दिल से दुआ करती हूँ, कभी कभी ख़त लिख कर, प्यार अदा करती हूँ ।"
 
" फूल है गुलाब का, खुश्बू तो लीजिए, पत्र है ग़रीब का, जवाब तो दीजिए..!!"
 
" मेंहदी रंग लाती है,सुख जाने के बाद,प्रेम की याद आती है, टूट जाने के बाद ।"
 
"चांदनी चाँद से होती है,सितारों से नहीं, मुहब्बत एक से होती है, हज़ारों से नहीं ।"
 
"हंस प्रित सोहामणी, जल सूखे सुख जाए, सच्ची प्रित शेवाळ (=काई) की जल सूखे सुख जाए ।"
 
"मन मेरा पंछी भया,जहाँ तहाँ उड़ जाए, जहाँ जैसी संगत करे, तहाँ तैसा फल पाए ।"
 
" कोई कटार से मरे, कोई मरे विष खाए, प्रित तो ऐसी कीजिए, आह भरे जीव जाए ।"
 
"दिन गिने मास गए, बरस बीते तुम बीन, शक्ल भूले सुध भी, बाद में बिसरे नाम भी ।"
 
जब ये आलेख लिखने का सोच रहा था उन्हीं दिनों, एक मित्र, मुझे मिलने आए और बोले," मैं कल अपने गाँव जा रहा हूँ, आपके लिए वहाँ से कुछ मँगवाना है क्या?" 

वैसे तो, उनके गाँव से मैं अक्सर स्वादिष्ट नमकीन मँगवाता था पर आज मेरे मन में प्रेमपत्र-आलेख के विचार चल रहे थे, अतः  मैने झट से कह दिया," हाँ, अगर वहाँ आपकी पहचानवाले कोई बुजुर्ग मिल जाए तो उनके, एक दूजे को लिखे पुराने प्रेम पत्र मिले तो ले आना..!!"
 
मित्र को अवश्य लगा होगा कि, मानो मुझ पर पागलपन का दौरा पड़ा होगा..!! इसी आशंका के चलते, मित्र ने मेरे सामने घूरते हुए, शंकाशील आवाज़ में कहा," क्यों, गाँव में मुझे किसी बुढ़िया के हाथों पीटवाना है क्या?"

सन-१९३१ के बाद, वाक फिल्मों का दौर शुरू हुआ और ज़िंदगी के सारे रस के गीत के साथ, फिल्मों के सुंदर प्रेम गीत भी घर-घर में गूँजने लगे । उन गीतों में,प्रेमावस्था का अद्भुत वर्णन होता था और उन गीतों को रूपहरी परदे पर पेश करनेवाले हीरो-हीरोईन; राजकपूर-नरगीस; दिलिपकुमार-वैजयंतीमाला;देवानंद-सुरैया;गुरुदत्त-वहीदा जैसे कई  फिल्मी जोड़े, उस ज़माने के प्रेमीओं के लिए आदर्श हो गए..!! 
 
दोस्तों, धरती के जन्म काल से, प्रकट हुए समस्त साहित्य को ढूंढ कर, `प्रेम की अभिव्यक्ति` विषय पर, विशद विवरण करने जाएं तो, कितने ही महाग्रंथ की रचना हो जाएं..!!
 
इंग्लैड के प्रसिद्ध पत्रकार और इतिहासविद्, `John Keay (born 1941)`, के मत अनुसार," The Kama Sutra is a compendium (सारांश) that was collected into its present form in the second century CE."
 
कहते हैं, हमारी संस्कृति में, प्रेम के देवता-कामदेव के तीर जिनके दिल में लगते हैं, वही लोग उसके दर्द के बारे में,अधिक कह सकते हैं ।
 
`वात्सायन` मुनी रचित, `काम सूत्र` में सेक्स कला के बारे में, किए गए सटीक वर्णन में, `प्रेम की अभिव्यक्ति`  स्वरूप, प्रेम पत्र का वर्णन भी शामिल होना,निश्चित बात है, आप को कोई शक?


फिलहाल तो, आप मेरा लिखा,स्वरबद्ध किया,संगीतबद्ध किया और स्वरायोजन श्रीप्रसून चौधरी, प्रख्यात गायिका सुश्रीपारूलजी द्वाया गाया हुआ ये गीत मेरे ब्लॉग पर आकर सुनिए और बताईएगा ज़रूर,  आपको गीत कैसा लगा?

गीत के बोल हैं,

"पुराने  ख़तों  की  खुश्बू  में  यादें  भरी  हैं  मेरी,
आपको दिखा नहीं सकती,शादी हो गई है मेरी ।
दिलबर ने  मुझे दिए थे जो,घर में छिपे पड़े हैं जो,
मैं  ख़ुद पढ़ नहीं सकती, शादी हो गई  है  मेरी ।"





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मार्कण्ड दवे । दिनांक-०५-०५-२०११.

6 टिप्पणियाँ:

क्या ब्लॉगर मेरी थोड़ी मदद कर सकते हैं अगर मुझे थोडा-सा साथ(धर्म और जाति से ऊपर उठकर"इंसानियत" के फर्ज के चलते ब्लॉगर भाइयों का ही)और तकनीकी जानकारी मिल जाए तो मैं इन भ्रष्टाचारियों को बेनकाब करने के साथ ही अपने प्राणों की आहुति देने को भी तैयार हूँ. आज सभी हिंदी ब्लॉगर भाई यह शपथ लें

बढ़िया लिखा है

बहुत बढ़िया लिखा है

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