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रविवार, 9 अक्तूबर 2011

ठोकर न मारें...

ठोकर न मारें

दिखाकर रोशनी, दृष्टिहीनों को,
और प्रदीप्यमान सूरज को,
रोशनी का तो अपमान मत कीजिए !!!

और न ही कीजिए अपमान,
सूरज का और दृष्टिहीनों का.

इसलिए डालिए रोशनी उनपर,
जिन्हें कुछ दृष्टिगोचर हो,
ताकि सम्मान हो रोशनी का,
और देखने वालों का आदर.

एक बुजुर्ग,
जिनकी दृष्टि खो टुकी थी,
हाथ में लालटेन लेकर,
गाँव के अभ्यस्त पथ से जा रहे थे,

एक नवागंतुक ने पूछा,
बाबा, माफ करना,
दृष्टिविहीन आपके लिए, इस
लालटेन का क्या प्रयोजन है ?

बाबा ने आवाज की तरफ,
मुंह फेरा और बोले –

बेटा तुम ठीक कहते हो.
मेरे लिए यह लालटेन अनुपयोगी है,
फिर भी यह मेरे लिए जरूरी है.

ताकि राह चलते लोग,
कम से कम इस लालटोन की,
रोशनी में देखकर,
मुझ जैसे  बुजुर्ग को—
ठोकर न मारें.

6 टिप्पणियाँ:

बुजुर्ग को—ठोकर न मारें.


Very Nice..!!

सर्व श्री मनीष जी, मार्कंड दवे जी एवं नीरज द्विवेदी जी,

शुक्रिया, प्रोत्साहन के लिए.

अयंगर.09425279174

ताकि राह चलते लोग,
कम से कम इस लालटोन की,
रोशनी में देखकर,
मुझ जैसे बुजुर्ग को—
ठोकर न मारें.

बहुत गहरी बात कह दी…………सुन्दर प्रस्तुति।

वंदनाजी,

प्रोत्साहन के लिए आभार,


अयंगर.

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