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मंगलवार, 11 अक्तूबर 2011

स्वतंत्र


भारत गणतंत्र हमारा,
ऐसा जनतंत्र हमारा,
जनता पर तंत्र हमारा,
यह है स्वातंत्र्य हमारा.

करते हैं शांति की बातें,
वैसे हम भ्रांति फैलाते,
चादर जितना भी होवे,
पूरे हम पैर फैलाते.

करते हैं जो करना हो,
कहते हैं जो कहना हो,
कथनी करनी में अपनी,
समता हो तो बतलाएं.

भारत के भाग्य विधाता,
ऐसी है आज की गाथा,
जिसको, जो भी मिल जाता,
उसको वह खा पी जाता.

इसका कोई दंड बनाओ,
या फिर कोई फंड बनाओ,
जितना खाने मिल जाए,
मिल जुल कर बाँट के खाओ.

.......................................
एम.आर.अयंगर.

9 टिप्पणियाँ:

जनता पर तंत्र हमारा,
यह है स्वातंत्र्य हमारा.

GOOD,GOOD, Very Good.

करते हैं जो करना हो,
कहते हैं जो कहना हो,
कथनी करनी में अपनी,
समता हो तो बतलाएं.

जिसको, जो भी मिल जाता,
उसको वह खा पी जाता.

सर जी,

धन्यवाद और शुक्रिया.

आपका,

अयंगर.

श्री मनीष एवं
श्री पीयूष जी,

धन्यवाद.

'hindi4tech' देखा.

सामग्री तो पसंदीदा है, पर पढ़कर समझने में वक्त लगेगा.

कुछ समय बाद ही आपको अपना राय सूचित कर पाऊंगा और जहाँ अच्छा लगे शायद अनुप्रयोग भी किया जाए.

धन्यवाद,

अयंगर.

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