मंच पर सक्रिय योगदान न करने वाले सदस्यो की सदस्यता समाप्त कर दी गयी है, यदि कोई मंच पर सदस्यता के लिए दोबारा आवेदन करता है तो उनकी सदस्यता पर तभी विचार किया जाएगा जब वे मंच पर सक्रियता बनाए रखेंगे ...... धन्यवाद   -  रामलाल ब्लॉग व्यस्थापक

सोमवार, 27 जून 2011

जहा तुम पढ़ते हो, हम वहां के प्रिंसिपल है !!


एक रात, चार कॉलेज विद्यार्थी देर तक मस्ती करते रहे और जब होश आया तो अगली सुबह होने वाली परीक्षा का भूत उनके सामने आकर खड़ा हो गया।

परीक्षा से बचने के लिए उन्होंने एक योजना बनाई। मैकेनिकों जैसे गंदे और फटे पुराने कपड़े पहनकर वे प्रिंसिपल के सामने जा खड़े हुए और उन्हें अपनी दुर्दशा की जानकारी दी। उन्होंने प्रिंसिपल को बताया कि कल रात वे चारों एक दोस्त की शादी में गए हुए थे। लौटते में गाड़ी का टायर पंक्चर हो गया।

किसी तरह धक्का लगा-लगाकर गाड़ी को यहां तक लाए हैं। इतनी थकान है कि बैठना भी संभव नहीं दिखता, पेपर हल करना तो दूर की बात है। यदि प्रिंसिपल साहब उन चारों की परीक्षा आज के बजाय किसी और दिन ले लें तो बड़ी मेहरबानी होगी।

प्रिंसिपल साहब बड़ी आसानी से मान गए। उन्होंने तीन दिन बाद का समय दिया। विद्यार्थियों ने प्रिंसिपल साहब को धन्यवाद दिया और जाकर परीक्षा की तैयारी में लग गए।

तीन दिन बाद जब वे परीक्षा देने पहुंचे तो प्रिंसिपल ने बताया कि यह विशेष परीक्षा केवल उन चारों के लिए ही आयोजित की गई है। चारों को अलग-अलग कमरों में बैठना होगा।

चारों विद्यार्थी अपने-अपने नियत कमरों में जाकर बैठ गए। जो प्रश्नपत्र उन्हें दिया गया उसमें केवल दो ही प्रश्न थे -


प्र. 1 आपका नाम क्या है ? (2 अंक)

प्र. 2 गाड़ी का कौनसा टायर पंक्चर हुआ था ? ( 98 अंक )

. अगला बायां

. अगला दायां

. पिछला बायां

. पिछला दायां

22 टिप्पणियाँ:

हा हा हा .................... सही सवाल पूछ लिए

वैसे सही जवाब था क्या



या

मजेदार सवाल पूछे है

आनंद आ गया, बड़े ही मज़ेदार होटें हैं आपके जोक्स गजेन्द्र जी

ब्लॉग के सभी सम्मानित सदस्यो को सूचित किया जाता है की ऐसे लेखक जिनहोने आज तक इस मंच पर कोई पोस्ट नहीं लिखी है वे कृपया 30 जून तक कोई पोस्ट लिखे अन्यथा 1 जुलाई को उनकी सदस्यता समाप्त कर दी जाएगी रामलाल ब्लॉग व्यस्थापक

हा हा हा। बहुत अच्‍छे। मैं पहली बार इस ब्‍लॉग पर आया हूँ। बहुत अच्‍छा लगा।

श्रीमान ब्लॉग व्यस्थापक महोदय,

मेरे ब्लॉग पर एक कॉलम है हास्य-व्यंग्य नाम से , क्या में उस कॉलम में आपके ब्लॉग की सामाग्री इस्तेमाल कर सकता हूँ ?

यदि आप इसकी अनुमति देंगे तो बहुत खुशी होगी और पाठको को भी अच्छी सामाग्री मिलेगी .......

आदरणीय श्रीगजेन्द्रसिंहजी,

बहुत बढ़िया है,आगे भी ऐसा ही सुंदर भेजते रहिएगा ।

मार्कण्ड दवे।

गुरु गुरु ही होते हैं और चेले चेले ही। हा हा हाहा।

हा हा हा ..प्रश्नपत्र बहुत धांसू तैयार किया गया था ।

बू हू हू ...ये डेडलाईन को पढ कर निकला है जी । चलिए एक जुलाई तक एक हम भी ठोक डालते हैं प्रभु

इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

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