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गुरुवार, 2 जून 2011

हम हैं, मोबाईल जैसे । PART - 2

हम  हैं, मोबाईल जैसे । 
PART - 2

सौजन्य-गूगल


http://mktvfilms.blogspot.com/2011/06/part-2.html

प्यारे दोस्तों,

हालाँकि,इस संसार की भारी भरकम भीड़ में, कोई भी आदमी अपनी मर्ज़ी से, कहीं भी खो सकता है, जब की किसी इन्सान की कमज़ोर याददास्त और `आदरणीय श्रीबंटीजी` नाम के कई सदगृहस्थ के हाथों की करामात के कारण कई बार, मोबाईल महाशय भी, चोरी होने की या खो जाने की आनंददायक विलासिता भोग सकते है..!!

मेरे एक मित्र के वृद्ध माता-पिता गाँव में अकेले रह रहे हैं,उनकी शादी की पचासवीँ  सालगिरह के अवसर पर, मित्र ने उन्हें एक मोबाईल भेंट किया,ये बात जान कर मैंने आनंद व्यक्त किया..!! मित्र ने मुझे कहा," क्या करूँ? गाँव के सारे रिश्तेदार, मेरे माता-पिता को ताना मारते थे,आपका बेटा शहर में इतना भी नहीं कमाता कि, आपको एक मोबाईल ख़रीद कर दिला सकें?इसलिए खुशी के इस मौके पर,मैंने उन्हें मोबाईल भेंट किया,वैसे भी पिताजी की खराब तबियत को लेकर मुझे अक्सर चिंता लगी रहती थीं ।"

मित्र के इस उम्दा कार्य का मैंने समर्थन किया,पर मुझे पता नहीं था सिर्फ एक हफ्ते में ही मित्र के पिताजी का स्वास्थ्य इतना खराब हो जाएगा कि,उनको शहर के अस्पताल में भर्ती करना पड़ेगा..!!

मित्र का फोन आते ही, मैं भी अस्पताल पहुँच गया,पता चला उनके पेट में कुछ गांठ जैसा था और तुरंत ऑपरेशन करने की आवश्यकता थी, अतः मित्र के पिताजी को ऑपरेशन थियेटर में ले जाया गया था ।

करीब दो घंटे बाद, सफल ऑपरेशन होने के पश्चात, अंकल को ऑपरेशन थियेटर से बहार ला कर वार्ड में शिफ्ट करने की तैयारी चल रही थी, ऐन उसी वक़्त ऑपरेशन करनेवाले डॉक्टर साहब ने, अपना महँगा स्लिम मोबाईल गुम होने की`इमरजेंसी` ज़ाहिर कर दी..!!

मेरे मन में आशंका के कारण ख़ौफ़ जाग उठा..!! जिस प्रकार `तारक मेहता का उल्टा चश्मा` सीरियल में, जेठालाल के पड़ोसी आत्माराम तुकाराम भींडे के गले में ग़लती से सीटी (whistle) अटक जाती है, इसी प्रकार इस भुलक्कड़ डॉक्टर ने अपना मोबाईल अंकल का ऑपरेशन करते समय कहीं, अंकल के पेट में तो नहीं छोड़ दिया? हाँ,  ऐसा हो भी सकता है..!! आयें दिन अखबार में भी, ऐसी ख़बरें छपती रहती है, कहीं यहाँ भी..!!

वैसे डॉक्टर के भुलक्कड़ स्वभाव से भलीभाँति परिचित नर्स ने उपाय दर्शाते हुए डॉक्टर को सुझाव दिया,"सर, मैं अपने मोबाईल से आपका नंबर लगाती हूँ, आपके मोबाईल की रिंग बजेगी तो फौरन पता चल जाएगा कि मोबाईल कहाँ है?"

पर डॉक्टर साहब ने ये कह कर इस सुझाव की हवा निकाल दी कि," रिंग कहाँ से बजेगी,ऑपरेशन के वक़्त, ख़लल न हो ये सोच कर, मैंने अपना मोबाईल वायब्रेटर मोड़ पर रखा है..!!"

हो गया ना सत्यानाश? मेरे मित्र ने घबराहट में नर्स से आखिर पूछ ही लिया, " पेट से मोबाईल निकालने के लिए, डॉक्टर साहब अब  पिताजी का ऑपरेशन दोबारा करेंगे क्या?

नर्स कुछ कहती, इस से पहले ही, वार्ड बॉय कहीं से डॉक्टर का मोबाईल ढूंढ कर ले आया और हम सब की जान में जान आयी..!!  

हालाँकि,अत्यंत टेन्शन में मेरे मित्र ने अपनी सारी भड़ास निकाली," या..र, इस वक़्त मुझे इतना गुस्सा आ रहा है ना, कि इस गंजे डॉक्टर के बचेकूचे बाल भी नोंच  लूं? ऑपरेशन के समय साथ में, इतना स्लिम मोबाईल रखने की क्या जरूरत थी?"

मैंने मित्र को प्रसिद्ध कहावत याद दिलाई," दोस्त, इनको पोसाता होगा तभी तो इतना महँगा मोबाईल रखते होंगे? वैसे भी तुमने ये कहावत सुनी नहीं है,

"खल्वाटो निर्धन क्वचित।"

अर्थात्- शायद ही कोई गंजा इन्सान निर्धन हो..!!


मोबाईल जब से आम हुआ है, उस में भी अमीर-ग़रीब की भेद रेखा के कारण आदमी खास हो गया है । कई लोग तो एक साथ तीन-चार मोबाईल या सीम कार्ड रखते हैं..!! शायद, एक मोबाईल  फ्री ` SMS` के लिए, एक सिर्फ इन कमिंग के लिए और एक आउट गोईंग के लिए? मुझे लगता है आजकल मोबाईल कंपनी बदलने पर भी वही नंबर जारी रखने की, जो सहुलियत दी गई है, इसके बजाय अगर एक कानून पारित कर के प्रत्येक नागरिक की राष्ट्रीय पहचान के आईडेन्टिइकेशन नंबर को ही अगर मोबाईल नंबर के रूप में दर्ज किया जाए तो, बांग्ला देशी शरणार्थी,आतंकवादी को पकड़ने, जैसी कई ग़ंभीर समस्याओं का समाधान,  एक पल में मिल जाए..!!

हमारे, लेन्डलाईन फोन प्रेमी, एक मित्र का मानना है कि, एक दिन पूरा देश मोबाईल को कूड़ेदान में फेंक कर, वापस लेन्डलाईन का उपयोग करने लगेंगे क्योंकि, ताज़ा समाचार के अनुसार वैज्ञानिको ने दावा किया है कि, मोबाईल फोन का अधिक उपयोग करने पर, कैंसर होने का ख़तरा है । ये लोग तो यहाँ तक कहते हैं कि, मोबाईल को सीने के पास  रखने से हार्ट एटेक और पैंट की जेब में रखने से नपुंसक होने का ख़तरा है? अगर इसे सच माना जाए तो, मोबाईल भी मच्छर की तरह कानों में गुनगुनाता रहता है ऐसे में, प्रातःस्मरणीय, आदरणीय पूज्य श्रीनानाजी पाटेकरजी का, ये सुप्रसिद्ध ब्रह्म वाक्य सच साबित हो सकता है कि," एक मच्छर (मोबाईल) आदमी को हिज़ड़ा बना सकता है?"

एक मित्र ने अफसोस ज़ाहिर किया,"या..र, अगर मोबाईल, इन्सानों जैसा है तो, हमें फ्रेश होने के लिए,रोज़ कम से कम एक बार नहाना पड़ता हैं और मोबाईल को पानी से दूर क्यों रखा जाता है?"

मैंने कहा," एक बार मोबाईल को भी नहला कर देख लेना?"

मित्र ने कहा," कल मैं पकौड़े खा रहा था, उसी समय पास में पड़े मेरे मोबाईल पर, ढेर सारी चटनी गिरी और मोबाईल चटनी से लथपथ हो गया, मैंने तुरंत उसे सिंक के नल नीचे पानी से अच्छी तरह धोया, मगर तब से वह मुझ से रूठा हुआ है..!!"

वैसे, मोबाईल में एक और सुविधा होती है, कॉन्फ़्रेंस करने की, जिस में एक साथ कई पुरूष किसी ठोस वजह से या फिर, कई सन्नारीयाँ बिना वजह, कई  घंटो तक बातचीत कर सकते हैं..!!साहित्य जगत में,कई कवि मित्रों ने, अपनी रचनाओं में, पुरूष को भँवरे और नारी को पुष्प की उपमा दी है, हालांकि भ्रमर को सदैव यह भ्रम रहता है कि, मेरी पत्नी, मेरे मुकाबले कम अक्ल है, पर सिर्फ नारी ही ऐसा प्राणी है जो,मोबाईल में रोंग नंबर लगने पर भी, एक-डेढ़ घंटे तक बात कर सकती है..!!

हमारे चंपकचाचा का कहना है," मैंने नया मोबाईल ख़रीदा है, जिसे  अपने सात साल के पोते को गुरू मानकर उसी से,ऑपरेट करना,  सीख रहा हूँ, इतना ही नहीं, इसी अज्ञानता के कारण, बच्चों पर, `तुम से ज्यादा दीवाली मैंने देखी है`, ऐसी धाक जमाना, मैंने छोड़ दिया है..!!"


हालांकि,अगर आप युवा हैं और आपके मोबाईल में प्यार भरे SMS,MMS आते हों तो, आपका मोबाईल किसी छोटे बच्चे के हाथों में देना बहुत बड़ा जोख़िम साबित हो सकता है क्योंकि, आजकल के बच्चे विकिलिक्स वाले जूलियन असांजे  से कतई कम नहीं होते? अभी-अभी एक मौसी का भांड़ा फोड़ते हुए एक भांजे ने उनका मोबाईल मौसी के हाथ में वापस थमाया कि," मौसी ये लीजिए आपका मोबाईल, कोई आपको, `I LOVE YOU` कह रहा है..!!"

एक लग्नवांच्छुक युवा मित्र का कहना है कि,"अंकल, आजकल लड़की देखने जाता हूँ तो मैं उसे मोबाईल का उपयोग ठीक ढंग से आता है की नहीं ये बात अवश्य पूछता हूँ क्योंकि, जिसे मोबाईल का ज्ञान न हो वह रसोई क्या ख़ाक अच्छी बनाएगी?" वैसे, ये तर्क, मेरी तो समझ से परे हैं,क्योंकि लग्नवांच्छुक कन्या भी ऐसा ही कह सकती है कि, जिस लड़के को ठीक से मोबाईल पकड़ना नहीं आता, वह भविष्य में हमारे बच्चों को हाथ में उठा कर, क्या ख़ाक खिला पाएगा..!!

आजकल का युवाजगत बड़ा ही उदार दिल होता है, चाहे अपना मोबाईल हो या प्रेमी-प्रेमिका, बड़ी आसानी से एक दूसरे के साथ, उनकी अदल-बदल कर लेते हैं..!! शायद वह एक ही मॉडल से बहुत जल्द उक़ता जाते होंगे?

हालाँकि,शादीशुदा जोड़े की तो बात ही कुछ ओर है,सब से पहले तो उनको, अपने पति या पत्नी से छिपा कर, प्रेमिका या प्रेमी का नंबर अपने मोबाईल में सेव (save)  करने की महारत हासिल करनी पड़ती है? इस से भी ज्यादा मुश्किल है, पत्नी की उपस्थिति में, प्रेमिका के साथ मोबाईल पर, कोडवर्ड में प्रेमालाप करना..!! मुझे तो लगता है, अगर इस विषय का, कोई ट्यूशन क्लासिस शुरू करें तो, एक ही साल में वह ट्यूशन क्लास प्रोप्रायटर मर्सीडिस् कार में घूमता हुआ दिखाई दें?  

एक शादीशुदा मित्र का कहना है," मुझे मेरी पत्नी जब  माह की आखिर तारीख में, ज़बरदस्ती किसी बड़े शॉपिंग मॉल में, ढेर सारा शॉपिंग करने के लिए, ले जाती है तब, अपनी पत्नी से, जानबुझ कर, भीड़ में अलग खो कर मैं, मेरे मोबाईल का सीम कार्ड निकाल देता हूँ, बाद में मुझे ढूंढने में, पत्नी का इतना सारा वक़्त जाया होता है कि,शॉपिंग कम होने के कारण, मेरा पॉकेट खाली होने से बच जाता है..!!"

अब अंत में, इन्सान और मोबाईल की एक अजीब  सी समानता के बारे में बात कर लें, एक इन्सान दूसरे इन्सान को माईक्रो तनाव दे कर, उसे बिना हथियार जीते जी अधमरा सा कर सकता है, मोबाईल भी हमें उसके माईक्रो तरंग की मार से अधमरा सा कर सकता है ।

दोस्तों, अभी-अभी मेरे मोबाईल पर एक मैसेज आया है,

"  Long Time Ago.... Only  idiots  used.... to read  my SMS And Today, The  history  continues..."

मैंने  यह संदेश पढ़ लिया है । मगर, आप चिंता मत करना, आप में से किसी को भी, यह मैसेज फारवर्ड करने की बजाय, मैं इसे डिलीट कर रहा हूँ..!!

इस महान उपकार के बदले, आप मेरा धन्यवाद करना चाहें तो, बिना हिचकिचाहट `थेंक्स` कह सकते हैं..!!

वैसे, मेरे इस आलेख को अंत तक पढ़ने के लिए, मैं तो आप का धन्यवाद ज़रूर करना चाहूँगा..!!

THANKS, MY DEAR FRIENDS..!!

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कैरेक्टर ढीला है? (कहानी)
 

http://mktvfilms.blogspot.com/2011/06/blog-post.html
 

प्यारे दोस्तों, इस कहानी में एक सती का सतीत्व ख़तरे में हैं,क्या इस लिंक पर आकर, इस कहानी का अंत लिखने में, आप मेरा मार्गदर्शन करने का कष्ट उठायेंगे?  

आधी-अधूरी नींद में, मृगया पानी का जग लेने के लिए, जब नीचे किचन में आयी, तो उसने देखा कि," मेहमान देव, अपने सीने पर  मैगज़ीन रख कर, बाथरूम और बेडरूम की सारी बत्तीयाँ बिना बुझाये ही, सो गए हैं?"

मृगया को मन ही मन हँसी आ गई..!! प्रेम के दोस्त भी प्रेम की माफिक ही लापरवाह  है..!!

मृगया धीरे से देव के बेडरूम में गई  और देव की नींद में कोई ख़लल न हो, इसका ध्यान रखते हुए उसने बाथरूम की बत्ती बुझा कर, देव के सीने पर पड़ा मैगज़ीन उठा कर बाज़ू के टेबल पर रखा, फिर धीरे से दबे पाँव रूम के दरवाज़े के पास पहुँच कर, जैसे ही मृगया ने रूम की बत्ती बुझा कर, दरवाज़े की ओर अपने कदम बढ़ाये...!!

अचानक मृगया को अपनी नाज़ुक कमर पर, देव के मज़बूत हाथों की पकड़ महसूस हुई । मृगया भय के कारण कांप उठी और वह कुछ ज्यादा सोचे-समझे उससे पहले ही, रूम का दरवाज़ा बंद हो चुका था । किसी मुलायम पुष्प जैसी कोमल-हल्की मृगया को, देव ने अपने मज़बूत कंधे पर उठाया और वासना पूर्ति के बद-इरादे के साथ, मृगया को बेड पर पटक दिया..!!

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दोस्तों, क्या मृगया का बलात्कार और फिर उसकी आत्महत्या जैसा, करूण अंत होना चाहिए, या  किसी भी तरह, मृगया को देव की चंगुल में से बच निकलने का मौका मिलना चाहिए?

बहुमत विद्वान पाठक जो कहेंगे , इस कहानी का ऐसा ही अंत लिखने का मेरा इरादा है । 


इस कहानी का सटीक और सशक्त अंत दर्शाने के लिए अपने अमूल्य प्रतिभाव देकर मेरा मार्गदर्शन  करनेवाले, shri Anvesh Chaudhary, Dr shri shyam gupt, shri Piyush Khare, shri Usman, sushri kavita verma , shri Dalsingar Yadav, shri shekhar, shri Rakesh kumar और अन्य सभी विद्वान पाठक मित्रों का तहे दिल से धन्यवाद करते हुए प्रस्तुत है ये कहानी ।

आप पूरी कहानी इस लिंक पर क्लिक करके पढ़ सकते हैं ।

http://mktvfilms.blogspot.com/2011/06/blog-post_06.html 

मार्कण्ड दवे । दिनांक- ०२-०६-२०११.

13 टिप्पणियाँ:

हम हैं, मोबाईल जैसे ।
PART - 2 पहले की तरह जानदार लगा.

मजेदार रही मोबाइल गाथा

अच्छा लगा पढ़कर

निरीह करूँन सी मृगया ने शोर मचाया लेकिन उसकी बंद दरवाजो के पार न जा सकी

छट पटाती मृगया के शरीर मे अचानक इतनी शक्ति न जाने कहा से आ गयी की देव को एक और धकेलते मृगया दरवाजे की और भागी !

देव भी पीछे भागा

अपने हाथ मे पकड़े काँच के जुग को मृगया ने देव के सर पर दे मारा और दरवाजा खोल कर बाहर आकार शोर मचाया !

अगले दिन के अखबारो मे और अपने घर के बाहर मौजूद मीडिया वालों को देख कर मृगया को लगा की वाकई उसने बहदुरी का काम कर दिखाया है

अब इससे बढ़िया अंत तो हम आपको नहीं सुझा सकते

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