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मंगलवार, 13 सितंबर 2011

हिंदी दिवस के विशेष अवसर पर एक बार फिर श्री दोहरे जी की कविता का दोहरा आनंद लें.

!!!!!!! हाय हिंदी !!



हिंदी सचिवालय के एक अंक में प्रकीशित श्री दोहरे जी की कविता – आपके समक्ष रख रहा हूँ.

हाय हिंदी !!!!!

        एक हिंद वासी सज्जन की हिंदी देख,
       मैं हो गया मोहित,
       जब उन्होंनें, हवा में अपने हाथों को लहराया,
       और अपनी जोरदार आवाज में फरमाया।

               Ladies and Gentlemen,
               India हमारा country है,
       हम सब इसके citizen हैं,
       हिंदी बोलना हमारी duty है,

       पर बेचारी हिंदी की किस्मत ही फूटी है,
       आज कल की new generation,
       जब भी मुँह खोलती है,
               Only and only अंग्रेजी में ही बोलती है,
       हिंदी की सभ्यता को अँग्रेजियत पर तौलती है,
       यह very wrong है।

       यह हिंदी हमारी मातृभाषा है,
       हमें अपने daily life में,
       हिंदी language को अपनाना है,
               हिंदी को World wide फैलाना है,
               Only and Only then,
       भारत माँ के सपने होंगे सच।
               
              Thank you very much.
                 …………………………………….

6 टिप्पणियाँ:

India हमारा country है

sach kaha , India hamara kanrti hai.

अच्छी मनोरंजक पोस्ट है !उम्दा हास्य व्यंग है !हिंदी दिवस की शुभकामनाएं !

हिन्‍दी दिवस की शुभकामनाओं के साथ ...
इसकी प्रगति पथ के लिये रचनाओं का जन्‍म होता रहे ...

आभार ।

सभी प्रशंसकों को धन्यवाद.
विशेषकर वंदनाजी का आभार कि मेरी पोस्ट आपके चर्चा में शामिल का गई.

सूचना के लिए संगीता स्वरूप जी को मेरी विनम्रताएँ.

अयंगर.

अरे भाई! अंग्रेजी नहीं जानते हम तब कैसे इस कविता को समझते?

श्री मिश्र जी,

हिंदी के प्रणेताओं ने कभी अंग्रेजी से परहेज नहीं किया. अंग्रेजी ही नहीं कई और भाषाएं भी सीखिए, जानिए. यह तो अच्छी बात है. पर हिंदी से मुँह न मोड़ा जाए.

श्री कन्हैयालाल मुंशी जी के लेख पढ़ें जो संविधान सभा में राजभाषा समिति के सदस्हिंय थे - हिंदी एवं अंग्रेजी का बराबरी से साथ देते थे लेकिन कहते जरूर थे कि हिंदी को अपनाओ.

आपकी टिप्पणी के लिए हार्दिक धन्यवाद.

अयंगर, 9425279174.

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