(Courtesy Google images)
पत्नी..!!
प्रिय मित्र,
एक बार, एक पति देव से किसी ने सवाल किया,"पति-पत्नी के बीच विवाह - विच्छेद होने की प्रमुख वजह क्या है?"
विवाहित जीवन से त्रस्त पति ने कहा,"शादी..!!"
हमें तो इनका जवाब शत-प्रतिशत सही लगता है.!!
पति आजीवन ऐसी गलतफ़हमी में जीता है कि, मेरी पत्नी, मेरे उन ख्याल के अनुरूप, बानी-व्यवहार अपना कर,सहजीवनका सच्चा धर्म निभा रही है..!!
पर, सत्य हकीक़त यही होती है कि, विवाह के पश्चात, पति देव के ख्यालात आहिस्ता-आहिस्ता कब बदल कर पत्नी के रंग में रंग जाते हैं,पता ही नहीं चलता..!!
हालाँकि, पति देव के मुकाबले, जगत की सभी पत्नीओं की, छठी इंद्रिय (sixth sense) बचपन से ही, जाग्रत होने की वजह से, वह ये बात अच्छी तरह जानती हैं कि, विवाहित जीवन सुखद बनाने के लिए, पति को समझने में ज्यादा समय व्यतित करना चाहिए और उसे प्यार करने में कम से कम..!!
इसी तरह, पति देव भी, अपने नर-प्राणी होने की गुरूताग्रंथी से ग्रसित होकर, शादी के बाद थोड़े ही दिनों में समझ जाता है कि, विवाहित जीवन सुखद बिताने के लिए, पत्नी को प्रेम करने का दिखावा करने में ज्यादा समय देना चाहिए और उसे समझने के लिए कम से कम..!! (जिसे बनाने के बाद, खुद ईश्वर आजतक समझ न पाया हो, उसे कोई पति क्या ख़ाक समझ पाएगा?)
इसीलिए,ऐसा कहा जाता है कि, जीवन में दो बार आदमी, औरत को समझ नहीं पता,(१) शादी से पहले (२)शादी के बाद..!!
पत्नी को समझने में अपना दिमाग ज्यादा खर्च न करने के कारण ही, विवाहित पुरूष,किसी कुँवारे मर्द के मुकाबले ज्यादा लंबी आयु बिताते है, ये बात और है कि, विवाह करने के बाद, ज्यादातर पति देव (मर्द) लंबी आयु भुगतने के लिए राज़ी नहीं होते..!!
सन-१९६०-७० के दशक तक तो, भारत के कई प्रांत में,घर के मुखिया की पसंद के आगे, नतमस्तक होकर, हाँ-ना कुछ कहे बिना ही विवाह करने का रिवाज़ अमल में था । हालाँकि, ऐसे रिवाज़ के चलते कई पति-पत्नी आज भी मन ही मन अपना जीवन, किसी बेढंगी बैलगाडी की रफ़्तार से, मजबूर होकर, बेमन से संबंध निभा रहे होंगे..!!
मुझे सन-१९५८ का एक,ऐसा ही किस्सा याद आ रहा है, हमारे गुजरात के एक गाँव में, किसी कन्या को देखने के लिए गए हुए,एक युवक और उसके माता पिता को, भोजन का समय होते ही, कन्या के माता-पिता ने, मेहमानों को भोजन ग्रहण करने के लिए प्रेमपूर्वक आग्रह किया, जिसे मेहमान ठुकरा न सके । उधर कन्या के परिवार को लगा कि, विवाह के लिए सब राज़ी है,तभी तो हमारे घर का भोजन मेहमानोंने ग्रहण किया है..!! अतः विवाह वांच्छूक युवक की झूठी थाली में, उस कन्या को उसकी माता ने भोजन परोसा । मारे शर्म के कन्या ने, अपने होनेवाले पति का झूठा भोजन ग्रहण किया..!! हिंदु शास्त्र की मान्यता के अनुसार, जो कन्या ऐसे समय किसी युवक का झूठा खा लेती हैं तो, वह दोनों विवाह के लिए राज़ी है ऐसा माना जाता है ।
हालाँकि,बाद में पता चला कि, कन्या का वर्ण श्याम होने के कारण, युवक इस कन्या से विवाह करने को राज़ी न था, पर परिवार के मुखिया के दबाव में आकर, उस युवक को अंत में, उसी कन्या से शादी करनी पड़ी..!!
आज भी ऐसी मान्यता है कि,"शादी-ब्याह, ईश्वर के यहाँ, पहले से तय हो जाते हैं । हम तो सिर्फ निमित्तमात्र है ।"
हमारे देश में मनोरंजन के नाम पर, प्रसारित हो रही करीब-करीब सारी सिरियल्स में, परिवार की किसी एक बहु को `वॅम्प-अनिष्ट`के रूप में पेश करके, कथा को रोचक बनाने के मसाले कूटे जाते हैं, यह देखकर मैं सोचता हूँ, ये सारे चेनल्सवाले,किसी भी नारी को इतना ख़राब क्यों दर्शाते हैं? हालाँकि,कर्कशा पत्नीओं की कलयुगी कहानी कोई नयी बात नहीं है, राम राज्य में भी कैकेयी-मंथरा की जुगलबंदीने, राजा दशरथ को सचमुच खटीया (मृत्युशैया) पकड़ने पर मजबूर करके, राजा की खटीया खड़ी कर दी थी । इसी प्रकार महाभारत का भीषण युद्ध भी इर्षालु कर्कशा पत्नीओं के कारण ही हुआ था..!!
महान आयरिश नाट्य कार, जॉर्ज बर्नार्ड शॉ ( George Bernard Shaw 26 July 1856 – 2 November 1950) कहते हैं कि," जिसकी पत्नी कर्कशा-झगड़ालू होती है, उसका पति बहुत अच्छा कवि-चिंतक-विवेचक-नाट्य कार बन सकता है..!! (इस श्रेणी में, मुझे मत गिनना, मैं अपवाद हूँ..!!)
एकबार, एक कंपनी की ऑफ़िस में, काम से सिलसिले से मैं गया । वहाँ दोपहर की चाय-पानी का विराम काल था और कंपनी के आला अधिकारी के साथ पूरा स्टाफ मौजूद था, ऐसे में किसी बात पर स्टाफ के एक मेम्बर ने कबूल कर लिया कि, घर में उसकी पत्नी का राज है और वह अपनी पत्नी का चरण दास है..!! फिर तो क्या था..!! जैसे अपने मन में भरे पड़े, दबाव से सब लोग छुटकारा चाहते हो, धीरे-धीरे सब स्टाफ मेम्बर्स ने कबूल किया कि, वे सब पत्नी के चरण दास है और पत्नी के आगे उनकी एक नहीं चलती..!! बाद में, सारे स्टाफ मेम्बर्स चेहरे पर मैंने,`शेठ ब्रधर्स का हाजसोल चूरन` लेने के बाद हल्के होने के भाव को उभरते देखा..!!
कर्कशा पत्नी को सुधारने का सही उपाय शायद यही है कि, आप पूर्ण निष्ठा भाव से, उनके चरण दास बन जाइए, बाकी सबकुछ अपने आप ठीक हो जाएगा? अगर कुछ ठीक नहीं भी हो पाया तो, कम से कम, घर का माहौल ज्यादा बिगाड़ने से तो बच ही जाएगा..!! वर्ना..किसी रोज़ घरेलू हिंसा के, तरकटी मुक़द्दमों में फँस कर, पुलिसस्टेशन - कोर्ट कचहरी के चक्कर काटने शुरू हो सकते हैं?
एक आखिरी नसिहत,आदरणीय श्री संजीव कुमार, विद्यासिन्हा की फिल्म,"पति-पत्नी और वोह" वाली `वोह` के चक्कर में कभी मत पड़ना, वर्ना आप को भी, रात-दिन ठंडे-ठंडे पानी से नहाने के दिन गुज़ारने का समय आ सकता है..!!
वैसे, आज आप भी, अपने सिर पर हाथ रखकर, कसम दोहरायें कि,
"मैं जो कहूँगा सच कहूँगा और सच के अलावा कुछ न कहूँगा..!!"
" क्या आप भी चरण दास हैं?"
"अरे..!! हँसना मना है, भाई..!!"
मार्कण्ड दवे । दिनांक- २०-०४-२०११.
6 टिप्पणियाँ:
पति आजीवन ऐसी गलतफ़हमी में जीता है कि, मेरी पत्नी, मेरे उन ख्याल के अनुरूप, बानी-व्यवहार अपना कर,सहजीवनका सच्चा धर्म निभा रही है..!!
कोई नहीं सच कहेगा
पत्नी को समझने में अपना दिमाग ज्यादा खर्च न करने के कारण ही, विवाहित पुरूष,किसी कुँवारे मर्द के मुकाबले ज्यादा लंबी आयु बिताते है,
लाजवाब!
इतनी देर तक हंसने की इंतजार थोड़े ही करते हैं। पढ़ते बाद में हैं, पहले ही हंस लेते हैं। ऐसे दीवाने हैं हम। दांतों पर हंसी को सजा कर रखते हैं। आपने मना किया तो मान गए, नहीं तो दांतों को अंत में मेज पर सजाते हैं हम, जो लजाते हैं हंसने में, उन्हें मिसाल के तौर पर अपने दांत दिखलाते हैं हम मार्कंडेय जी।
Wow i love you blog its awesome nice colors you must have did hard work on your blog. Keep up the good work. Thanks
India is a land of many festivals, known global for its traditions, rituals, fairs and festivals. A few snaps dont belong to India, there's much more to India than this...!!!.
visiit here for India
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