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गुरुवार, 14 जुलाई 2011

सरकारी ठेकेदार का हिसाब-किताब !


तीन ठेकेदार एक पुलिया की मरम्मत के ठेके के लिए बोली लगाने पहुंचे।
अधिकारी उन्हें उस
पुलिया पर ले गया जिसकी मरम्मत होनी थी।

पहले ठेकेदार ने जेब से फीता निकाला, कुछ नापतौल की, कैलकुलेटर पर कुछ हिसाब लगाया और बोला – मैं इस काम को 90000 रूपए में कर दूंगा। 40000 सामग्री के लिए, 40000 मजदूरों के लिए और 10000 मेरे लिए।

दूसरे ठेकेदार ने भी नाप तौल की, कुछ यही हिसाब लगाया और बोला – 70000 रूपए। ३0000 सामग्री के लिए और ३0000 मजदूरी के। बाकी 10000 मेरे

तीसरे ठेकेदार ने न नापतौल की न हिसाब लगाया। अधिकारी के कान के पास मुंह ले जाकर कहा – 270000 रूपए।

अधिकारी बोला – देख नहीं रहे। दूसरा 70000 में करने को तैयार है ।
कुछ नापतौल तो करो, हिसाब तो लगाओ तब बोलो।

तीसरा ठेकेदार फिर उसके कान में फुसफुसाया –
पूरी बात तो सुनिए …… ।
एक लाख मेरे, एक लाख आपके और 70000 दूसरे वाले ठेकेदार के लिए जो यह काम करके देगा।

और ठेका तीसरे ठेकेदार को दे दिया गया...।

15 टिप्पणियाँ:

और ठेका तीसरे ठेकेदार को दे दिया गया...।

सत्य वचन है,अपने देश में, ना नर, ना नारी, पर तीसरे बीचवाले एजन्ट की ही बोलबाला है?

पुलिया की मरम्मत हो गयी सही कहा

बहुत बड़िया हिसाब है

बहुत बड़िया कहा

दिमाग सही लगाया है तीसरे ठेके दार ने

वाह क्या हिसाब लगाया है ?

सरकारी प्रणाली का सही सही नमूना

एक लाख मेरे, एक लाख आपके और 70000 दूसरे वाले ठेकेदार के

अरे वाह बिना काम किए ही मुनाफा

बहुत सटीक व्यंग्य है ..
यहाँ भी पधारिये
अब तो कुछ करना ही होगा

मजेदार लिखते है आप भी , दिल खुस हो जाता है पढ़ कर

एकदम सरकारी व्यवस्था का उल्लेख किया है

तीन ठेकेदार एक पुलिया की मरम्मत के ठेके के लिए बोली लगाने पहुंचे।

पुलिया की मरम्मत होनी भी थी या सिर्फ कागजी कारवाई ?

और ठेका तीसरे ठेकेदार को दे दिया गया...।

सत्य वचन है,अपने देश में, ना नर, ना नारी, पर तीसरे बीचवाले एजन्ट की ही बोलबाला है?

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