आधुनिक बोधकथाएँ-६.
दिलचस्प साक्षात्कार ।
सौजन्य-गूगल।
(म्यूज़िक- ढें..टें..ने..ण..!!)
आर.जे.(रॅडियो जॉकी।)," प्यारे दोस्तों, आज हमारे बीच उपस्थित है, `पुरुष-प्रधान विवाह-विचारधारा` के कट्टर विरोधी, आजीवन कुँवारी, अखिल भारतीय विवाह विरोधी संगठन की एकमात्र ऍक्टिविस्ट बहन सुश्री......!!...........,बहन जी, हमारे, `४२० F.M. रेडियो स्टेशन` पर आपका दिल से स्वागत है ।"
बहन, " धन्यवाद ।"
R.J.-" अच्छा आप पहले ये बताइए कि,आप के `विवाह विरोधी संगठन` में, आज की डेट में, कितने सदस्य है?"
बहन,(ऊँगलियां गिनते हुए..!!),"ट्रेड सिक्रेट, नो कमेन्ट्स..!!"
R.J.-" दूसरा सवाल, आपकी पति-विरोधी नज़र से, किसी विवाहित नारी के जीवन में,अपने पति की क्या क़ीमत होनी चाहिए?"
बहन," ZERO-शून्य-कुछ भी नहीं..!! सारे पति देव उल्लु जैसे ही बुद्धिहीन होते हैं, इसीलिए तो मैं, हरेक नारी को शादी करने से पहले सौ बार सोचने की सलाह देती हूँ । नारी मुक्ति ज़ि..दा..बा..द..!!"
R.J. (चिढ़ते हुए )-" क्यों..!! आप किस आधार पर, `उल्लु` का उप-नाम देकर, सारे पुरूष पर इतना बड़ा इल्ज़ाम लगा रही है?"
बहन," सीधी सी बात है..!! पूरा दिन पत्नी की दुनियाभर की बुराईयाँ करने वाले पति देव को, रात ढलते ही, घने अंधेरे में भी, अपनी पत्नी में,`उल्लु की भाँति`, दुनियाभर के सद्गुण, नज़र आने लगते हैं?"
R.J.-" पर बहन जी, पत्नी पर भी, ऐसे आरोप लगते ही हैं कि,पति बेचारा पूरा दिन मेहनत करके रुपया कमाता है और पत्नी, शॉपिंग के बहाने, शॉपिंग-मोल में जाकर, उसे फ़िजूल-खर्च कर देती है?"
बहन," फ़िजूल चीज़ो का शॉपिंग करना, सभी पत्नीओं का जन्मसिद्ध अधिकार है, उस पर कोई पाबंदी नहीं लगा सकता..!!"
R.J.-"ठीक है, अगला प्रश्न । विवाह-विरोधी संगठन गठित करने की प्रेरणा,आप को कहाँ से मिली?"
बहन," मेरे घर में, मेरी माता जी से..!!"
R.J.-" आप की माता जी, शादीशुदा थीं?
बहन,(गुस्सा होकर)" कौन से शास्त्र में लिखा है, एक स्त्री ग़लती करें तो, दूसरी स्त्री को भी, उस ग़लती को दोहराना चाहिए?"
R.J.-" समझ गया..!! अच्छा बहन, आप के किसी प्रशंसक पुरूष का कॉल है, क्या आप उनके प्रश्न का जवाब देना चाहेंगी? महाशय, ज़रा आपका नाम और प्रश्न बतायेंगे?"
कॉलर पुरूष," मेरा नाम.....है । मैं आपका एक्स प्रेमी हूँ और आज भी आपसे बहुत प्रेम करता हूँ, मुझे पहचाना? मैं,....करोड़पति श्री....., का इकलौता बेटा? आपके साथ कॉलेज में? बहुत साल पहले ? मैंने आपको, एक प्रेम पत्र भेजा था..!! मैंने अभी तक शादी नहीं की..!! क्या आप मुझ से लीव-इन-रिलेशनशिप बनाएगी?"
बहन," अ...बे, सा..आ..ल्ले..!! इतने साल, मुझे छोड़ कर, कहाँ ग़ायब हो गया था? मैं तुमसे, अभी और इसी वक़्त मिलना चाहती हूँ..!! इस वक़्त तुम कहाँ हो?"
कॉलर," डार्लिंग,मैं इस वक़्त, तेरा रेडियो प्रोग्राम ख़त्म होने की प्रतीक्षा में, रेडियो स्टेशन के बाहर ही खड़ा हूँ..!!"
बहन," य..स, य..स, स्टे धेर, आय एम जस्ट कमिंग..!! मैं तुम से अभी, इसी वक़्त, शादी करना चाहती हूँ..!!"
R.J.-(हैरानगी जताते हुए)" पर, बहन जी, अपने आज के इस रोचक साक्षात्कार का क्या होगा? और फिर आप के विवाह विरोधी आंदोलन का क्या होगा? आप के उकसाने पर, आप के संगठन से जुड़ी हुई, बाकी महिला सदस्यों का भविष्य क्या होगा?"
बहन," नॉ कमेन्ट्स..!! ये ले तेरा माइक..!! मैं तो चली, मेरे डार्लिंग के पास..!! बा..य,बा..य?"
आधुनिक बोध- अपने किसी निर्णय पर, बहने, सदा अटल रहती है, ऐसा मानने की भूल, किसी पुरूष को हरगिज़ नहीं करनी चाहिए..!!
मार्कण्ड दवे । दिनांक-०४-०७-२०११.
11 टिप्पणियाँ:
सारे पति देव उल्लु जैसे ही बुद्धिहीन होते हैं
ha ha ha
बढ़िया लिखा है
badhiya vyang
बढ़िया व्यंग लिखा है
nice
accha laga
bahut hi badhiya likha hai ....
बहुत बढ़िया बात कही है
hahahahahahahahahaha
nic one
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किसी और की हो नहीं पाएगी वो ||
बढ़िया मजेदार
मजेदार
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