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मंगलवार, 5 अप्रैल 2011

जीते जी मेरी मौत का सामान हो गया

शादी कराके मैं तो परेशान हो गया
जीते जी मेरी मौत का सामान हो गया।

लेके आईं हैं मैके से वो दहेज़ में कुत्ता
फ्री में मेरे बिस्तर का दरबान हो गया।

और आगे अर्ज़ है,
रोज़ ही चली जाती हैं वो शापिंग करने
मेरा घर अब कोस्मेटिक्स का दुकान हो गया।

और अंत में,
सुना है अभी ससुराल में एक साला हुआ है पैदा
लगता है बुढ़ापे में मेरा ससुरा भी जवान हो गया।



इस कविता के लेखक का नहीं पता किसी को पता हो तो जरूर बताए

4 टिप्पणियाँ:

सुना है अभी ससुराल में एक साला हुआ है पैदा
लगता है बुढ़ापे में मेरा ससुरा भी जवान हो गया।

वाह वाह, क्या बात है

बहुत बढ़िया

पतियों की व्यथा ! बड़े ही सुंदर शब्दो मे !

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