मंच पर सक्रिय योगदान न करने वाले सदस्यो की सदस्यता समाप्त कर दी गयी है, यदि कोई मंच पर सदस्यता के लिए दोबारा आवेदन करता है तो उनकी सदस्यता पर तभी विचार किया जाएगा जब वे मंच पर सक्रियता बनाए रखेंगे ...... धन्यवाद   -  रामलाल ब्लॉग व्यस्थापक

मंगलवार, 19 अप्रैल 2011

लालच का अंत ?

       किसी गांव में एक समय चार मित्र बेहतर भविष्य की तलाश में भोजन-पानी की आवश्यक तैयारी के साथ शहर की ओर निकले । रास्ते में विश्राम के समय एक सन्यासी से मुलाकात के बाद उन्होंने अपना मकसद उन सन्यासी को बताया, तब सन्यासी ने उन्हें चार बत्तीयां देते हुए कहा कि सामने दिख रही पहाडी पर तुम जाओ । जहाँ भी कोई बत्ती गिरे वहीं थोडी खुदाई करने पर तुम्हें तुम्हारे उद्देश्य की पूर्ति जितना धन प्राप्त हो जावेगा । सभी ने आपस में विचार-विमर्श कर सन्यासीजी को धन्यवाद दिया और पहाडी की ओर चढना प्रारम्भ किया ।
 
          कुछ दूर चढने पर एक बत्ती गिर गई । सबने वहाँ खुदाई की तो अन्दर लोहा ही लोहा दिखने लगा । एक मित्र ने कहा कि अपना मकसद इस लोहे को बेचकर पूरा हो सकता है । किन्तु बाकि तीनों मित्रों को उसकी बात समझ में नहीं आई । तब वह मित्र वहीं रुककर अपने लिये उस लोहे के भण्डार को ले जाने की व्यवस्था में लग गया और शेष तीनों मित्र आगे निकल गये ।
 
           और थोडी चढाई चढने पर फिर एक बत्ती गिरी । वहाँ तीनों ने खुदाई की तो भरपूर तांबा वहाँ मौजूद पाया । उनमें से फिर एक मित्र बोला ये उस लोहे की तुलना में कहीं अधिक बेहतर विकल्प है और इसमें हम तीनों का भविष्य बन सकता है । तब बाकि दो मित्रों को उसकी बात सही नहीं लगी और वह मित्र तांबे के द्वारा अपना भविष्य संवारने वहीं रुक गया व शेष दोनों मित्र फिर आगे चढने लगे । 
 
            कुछ और उपर चढने पर एक बत्ती फिर गिरी । दोनों मित्रों ने वहाँ खुदाई करके देखा तो वहाँ चांदी की ढेरों सिल्लीयां निकली ।
तब दोनों में से एक मित्र की प्रसन्नता का ठिकाना न रहा । उसने दूसरे से कहा- वे दोनों तो लोहे और तांबे में ही रह गये यहाँ तो इतनी चांदी मौजूद है कि हमें अब जीवन में कोई कमी ही नहीं रहेगी । किन्तु दूसरे मित्र ने कहा कि ये चांदी तुम ले जाओ मैं अभी और आगे जाऊंगा । तब संतुष्ट मित्र चांदी ले जाने की व्यवस्था में लग गया और दूसरा फिर उपर की ओर निकल गया ।

           वह थोडा ही और उपर पहुंचा कि चौथी बत्ती भी गिरी । उसने वहाँ खुदाई की तो उसकी उम्मीद के मुताबिक वहाँ सोने का खजाना दिखने लगा । अब तो उसकी प्रसन्नता की सीमा न रही । उसने उपर की ओर देखा तो पहाडी की चोटी थोडी ही दूरी पर दिख रही थी । तब उसने सोचा कि ये पहाड तो बहुमूल्य संपदाओं से भरा पडा है और ये बत्तियां तो उन स्वामीजी ने प्रतीक रुप में ही दी हैं । इस सोने पर तो मेरे अलावा अब और किसी का कोई हिस्सा भी नहीं बचा है किन्तु जिस तरह इस पहाड पर लोहा, तांबा, चांदी व सोना मिला है ऐसे ही इस पहाडी की चोटी पर हीरे-जवाहरात भी अवश्य ही मौजूद होंगे । लगे हाथों मैं उस चोटी पर भी देख लूं ।
 
           यह सोचकर वह व्यक्ति उस पहाडी की चोटी पर पहुंचा, लेकिन आश्चर्यजनक तरीके से उसे वहाँ एक ऐसा आदमी दिखा जो हिल-डुल भी नहीं पा रहा था और उसके सिर पर एक बडा सा चक्र धंसा हुआ था जो निरन्तर घूम रहा था । बडे आश्चर्य़ के साथ उसने उस चक्र वाले व्यक्ति से पूछा- आप कौन हैं और आपके सिर में ये चक्र कैसे फंसा घूम रहा है ? उसके इतना पूछते ही चमत्कारिक तरीके से वह चक्र पहले से मौजूद व्यक्ति के सिर से उतरकर पहाड चढने वाले उस अन्तिम चौथे मित्र की सिर में धंस गया । मुक्त होने वाला व्यक्ति उससे बोला- धन्यवाद तुम्हारा जो अपने लालच के कारण तुम उपर तक आगए । अब न तुम्हें कभी भूख-प्यास लगेगी और न ही ये चक्र तुम्हारे सिर से हटेगा । हाँ यदि कोई तुमसे बडा लालची तुम्हारी किस्मत से यहाँ तक आ जावेगा तभी तुम अपनी मुक्ति का कामना कर सकते हो । मैं तो अब इस बोझ से मुक्त होकर जा रहा हूँ ।
 
            पुरातन काल की ये कथा कितनी सत्य या असत्य है ये तो शायद कोई भी नहीं जानता किन्तु लालच का भूत तो ऐसा ही है जिसकी गिरफ्त में देश-दुनिया की नामी-गिरामी शख्सियतें भी सर पर ये चक्र धंसवाए भोजन-पानी कि चिन्ता से कहीं अधिक और बडे भण्डार की तलाश में घूम रही हैं, और भ्रष्टाचार  व विध्वंस के नये-नये तरीके इजाद भी करवा रही हैं ।  आपका
क्या ख्याल है ?


      

11 टिप्पणियाँ:

आदरणीय श्री मार्कण्ड दवे जी,

आप की पोस्ट को हटाना पड़ा इसके लिए माफी चाहूँगा ।
यदि आप किसी अन्य पोस्ट ( जो हास्य व्यंग से संबन्धित न हो ) का लिंक इस ब्लॉग पर देना चाहते है तो अपनी पोस्ट के अंत मे हेडिंग के साथ दे सकते है ...

एक और निवेदन है आप से और इस मंच के सभी सम्मानित सदस्यो से भी की अपनी साथी सदस्यो की कोई पोस्ट प्रकाशित हो तो उसे पढ़कर उस पर अपनी प्रतिक्रिया दे ,

प्रेरक कथा। ऐसी कथाएं पढ़ते-पढ़ाते रहना चाहिए । ..धन्यवाद।

अच्छी कथा लिखी है ,

किसी ने सही कहा है कि लालच बुरी बला है

लालची का अंत ऐसा ही होता है

इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

अच्छी कथा लिखी है बहुत बढ़िया

सुंदर कहानी के द्वारा बहुत सही बात कही है ,

एक टिप्पणी भेजें

कृपया इन बातों का ध्यान रखें : -
***************************
***************************
1- लेख का शीर्ष अवश्य लिखें.
=====================================================
2- अपनी पोस्ट लिखते समय लेबल में अपना नाम अवश्य लिखें.
=====================================================
3- लेख की विधा जैसे व्यंग्य, हास्य कविता, जोक्स आदि लिखें.
=====================================================
4- तदुपरांत अपने पोस्ट/लेख के विषय का सन्दर्भ अपने-अनुसार लिखें.
=====================================================
*************************************************************
हास्य व्यंग ब्लॉगर्स असोसिएशन की सदस्यता लेने के लिए यहा क्लिक करे