गधे नें सीख लिया कंप्यूटर
बैठा रहता दिन-दिन भर
न वो अपने काम को जाता
न ही बच्चों से बतियाता
करता रहता दिन भर चैट
दोस्त बन गए उसके रैट
आया जीवन में बदलाव
खाने लगा गधा भी भाव
कुछ दिन तक तो चली कहानी
खत्म हो गया राशन पानी
गधी नें बेलन एक उठाया
गधे के जा सर पर घुमाया
भागा अपनी बचा के जान
पहुंचा धोबी की दुकान
दिन भर बोझा खूब उठाया
शाम को घर जब वापिस आया
चूर हो गया गधा थक कर
सोया खूब पेट भर कर
भूल गया उसको कंप्यूटर
लौट के बुद्धु आया घर
यह कविता http://www.nanhaman.blogspot.com/ से ली गयी है
6 टिप्पणियाँ:
बढ़िया कविता ,
लौट के बुद्दू घर आया-हास्यपरक कविता अच्छी लगी।धन्यवाद।
बुद्दू को लौटकर घर वापस आना ही चाहिए..!! सभी गधे रोज़ ऐसा ही तो करते हैं?
हा..हा..हा..!!
बढ़िया कविता ... Maja aa gaya ...
ये तो ब्लॉगर की कहानी है कविता में।
बढ़िया कविता
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